फेसबुक भारत में होने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों के मद्देनजर अपने यूजर्स का डाटा सुरक्षित रखने की कवायद में जुट गई है। इसके लिए कंपनी ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के साथ ही अपने हजारों कर्मचारियों को लगा दिया है। कंपनी के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मार्क जुकरबर्ग ने कहा कि उनका पूरा ध्यान भारत सहित अमेरिका और पाकिस्तान में होने वाले चुनावों के दौरान अपने यूजर्स के डाटा की सुरक्षा पर है। 2019 में भारत में लोकसभा का चुनाव होना है, ऐसे समय में फेसबुक खुद को मजबूत करने में लगा है ताकि चुनाव निष्पक्ष तरीके से संपन्न हो।
सुरक्षा मानकों को मजबूत कर रहा है फेसबुक
जुकरबर्ग ने कहा कि साल 2018 चुनावों के लिहाज से बड़ा साल है। इसको ध्यान में रखते हुए फेसबुक अपने सुरक्षा मानकों को मजबूत कर रही है ताकि गलत सूचना फैलाकर किसी की छवि खराब न की जा सके। दरअसल, अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान फेसबुक अपने यूजर्स का डाटा ब्रिटेन की रिसर्च फर्म कैंब्रिज एनालिटिका से साझा करने को लेकर आलोचना झेल रही है।
कई देशों में होंगे चुनाव
जुकरबर्ग ने बताया कि इस समय कंपनी के 15,000 कर्मचारी यूजर्स का डाटा सुरक्षित रखने के लिए काम कर रहे हैं। इस साल अमेरिका में मध्यावधि चुनाव होने हैं। इसके अलावा भारत, ब्राजील, मेक्सिको, पाकिस्तान और हंगरी में भी चुनाव होने हैं।
भारत में होनें हैं मुख्य चुनाव
भारत में इस साल कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव, जबकि अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं। जुकरबर्ग ने कहा कि कंपनी का पूरा ध्यान दुनिया भर में होने वाले चुनावों की शुचिता बनाए रखने पर है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
आपको बता दें ब्रिटेन की कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका ने अमेरिका के राष्ट्रपति के चुनाव के दौरान ट्रंप के प्रचार का जिम्मा लिया था। जकरबर्ग ने न्यू यॉर्क टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा था कि, ‘हमने फेसबुक पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल को जोड़ा है जिसके जरिए फेक अकाउंट का पता लगाया जा सकता है। इस टूल की मदद से चुनावो को प्रभावित करने और फर्जी खबरों के प्रसार को रोकने में मदद मिलेगी। पहली बार इस टूल को फेसबुक ने फ्रांस के चुनाव के दौरान 2017 में जोड़ा था’।
दुरुपयोग रोकेंगे
जकरबर्ग ने कहा कि 2016 के चुनावों में हमने इस टूल को बनाया था। उन्होंने कहा कि इस टूल की मदद से हमने 30000 से अधिक फर्जी अकाउंट का पता लगाया था। ये अकाउंट रूसी सूत्रों से जुड़े हुए थे, जिन्होंने अमेरिका के चुनाव के दौरान चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने का काम किया था। हमने इसे फ्रांस के चुनाव के दौरान बंद कर दिया था, ताकि फिर से इसका गलत इस्तेमाल ना किया जा सके।…Next
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