जिंदगी में शिक्षा का महत्व समझाते-समझाते ना जाने कितने दशक बीत गए. गांवो और छोटे शहरों में बच्चों को स्कूल भेजने के लिए कितने ही कार्यक्रम चलाए गए, योजनाएं घोषित की गई लेकिन आज भी एक वर्ग ऐसा है, जहां पर शिक्षा को अपने महत्व के लिए जूझना पड़ रहा है. लखीमपुरी खीरी, उत्तरप्रदेश में कुछ ऐसा ही नजारा उस वक्त देखने को मिला, जब यहां के एक प्राइमरी स्कूल में बच्चे नहीं बल्कि 250 पशु मिले. इन पशुओं को गांववालों ने पकड़कर स्कूल में बंद कर दिया था, जबकि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे घर पर बैठेने को मजबूर है.
किसानों का कहना है कि यहां पर आवारा पशुओं की तादाद बहुत ज्यादा बढ़ गई है. जिसकी वजह से फसलों को खासा नुकसान पहुंच रहा है. खासकर रात के समय पशुओं का आतंक बढ़ जाता है. साथ ही किसानों का ये भी कहना है कि वो कई बार प्रशासन को पशुओं के शेल्टर होम के बारे में कह चुके हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. किसानों की शिकायत है कि जिला प्रशासन भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. जिले के शिक्षा अधिकारी बुधप्रिय सिंह ने कहा, ‘सकेथू गांव में स्थित प्राइमरी स्कूल पर गुस्साए गांव वालों ने कब्जा जमा लिया और परिसर के अंदर पशुओं को बंद कर दिया. इसके चलते छात्रों को वापस अपने घर लौटना पड़ा.
अधिकारी ने उम्मीद जताई कि जल्दी ही विवाद का निपटारा हो जाएगा और स्कूल को दोबारा खोला जा सकेगा. गांववालों ने पशुओं को अस्थाई रूप से बनाए गए बांस के अहाते में रखा है, जिसकी वजह से स्कूल परिसर को खाली करवा दिया गया और बच्चों को छुट्टी दे दी गई. इस दौरान जिले के पुलिस चौकी के इंचार्ज और शिक्षा विभाग के सीनियर अधिकारी इस बाद गांव पहुंचे और लोगों को शांत कराने का प्रयास किया, लेकिन ग्रामीण अब भी अपनी मांग पर डटे हुए हैं.
किसानों का कहना है कि जब तक सरकार इन आवारा पशुओं के लिए शेल्टर की व्यवस्था नहीं करती है, तब तक स्कूल बंद ही रहेगा. इस घटना से एक बात तो साफ है कि गांववालों के इस कदम और प्रशासन की लापरवाही ने बच्चों के लिए एक और समस्या खड़ी कर दी है…Next
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