किसान पिछले कुछ सालों से अच्छा दाम न मिलने की वजह से कई बार धरना प्रदर्शन कर चुके हैं। ऐसे मे एक बार फिर से नाराज किसान संगठन आंदोलन करने का मन बना रहें हैं। अगर ऐसा होता है तो आने वाले कुछ दिनों में आम लोगों को खासी परेशानी होगी। दरअसल किसान संगठनों ने सात फरवरी से देशव्यापी प्रदर्शन करने का ऐलान किया है जो हफ्ते भर जारी रहेगा। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक किसान संगठनों का आरोप है की केंद्र सरकार ने 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों को सामने रख कर किसानों को लुभाने के लिए उनकी आमदनी बढ़ाने और न्यूनतम समर्थन मूल्य को लागत से डेढ़ गुना करने की बात तो की है, लेकिन सच्चाई कुछ और ही है।
ये है किसान संगठनों की दलील
1. सरकार का खेती की लागत तय करने का तरीका गलत है क्योंकि वह किसान यानी परिवार के मुखिया को छोड़ कर उसके परिवार को अकुशल मजदूर मानती है, जबकि किसान का पूरा परिवार खेती करता है। इसलिए पूरे परिवार को स्किल्ड यानी कुशल मजदूर माना जाए।
2. खेती की लागत तय करते वक्त जमीन का किराया भी जोड़ा जाए क्योंकि किसानों का एक बड़ा वर्ग खेत किराए पर ले कर खेती करता है।
3. सरकार किसानों को सब्सिडी के नाम पर कुछ रियायतें तो देती है लेकिन खेती की लागत तय करते समय सब्सिडी घटा देती है। किसान संगठन चाहते हैं की सरकार एमएसपी तय करते समय सब्सिडी को लागत से ना घटाए।
किसान संगठन की बातें
किसान मुक्ति संगठन के अध्यक्ष वी एम सिंह के मुताबिक वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एमएसपी को कुचलने का काम किया है, जो किसानों के साथ सही नहीं है। दरअसल केंद्र सरकार बजट में एमएसपी का जिक्र किया है जो किसानों को सही नहीं लग रहा है। किसान संगठन आरोप लगा रहे हैं की पिछले चार वर्षों में देश में 16 हजार से अधिक किसान आत्महत्या कर चुके हैं और किसानों की आमदनी बढ़ने की बजाए कम हुई है।
पंजाब सहित कई राज्यों में प्रदर्शन
किसान पिछले कुछ सालों से किसान को अच्छा दाम नहीं मिल रहा है, ऐसे में नाराज किसान संगठनों ने अब 7 फरवरी से देशव्यापी प्रदर्शन आयोजित करने का फैसला लिया है। 199 किसान संगठन 6 फरवरी को दिल्ली में जुटेंगे और हफ्ते भर चलने वाले धरना प्रदर्शनों की रूपरेखा तय करेंगे।
2 घंटे के लिए रोका जाएगा यातायात
पंजाब के कई किसान संगठनों ने 7 फरवरी को राज्य भर में 2 घंटे ‘रेल और परिवहन रोको’ प्रदर्शन करने का फैसला किया है। 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों के मद्देनजर की गई कृषि सेक्टर की घोषणाएं किसानों के गले नहीं उतर रही हैं। किसान चाहते हैं कि खेती से जुड़ी सभी घोषणाएं महज कागजी ना होकर व्यावहारिक हों और उनका शोषण रुके।…Next
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