उठते के साथ मोबाइल, खाने के टाइम मोबाइल, चलते-फिरते, घूमते, काम करते और सोते वक्त भी मोबाइल। इस मोबाइल ने लाइफ को आसान किया है, तो हमारा सुकून भी छीन लिया है। आज चाहे मोबाइल के इस्तेमाल पर जो भी बहस हो लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि मोबाइल न होता, तो हम कोसों दूर बैठे अपने किसी करीबी की आवाज सुनने को भी तरस जाते।
आइए, जानते हैं भारत में मोबाइल फोन ने कैसे दी दस्तक।
आज ही के दिन 23 साल पहले भारत में मोबाइल क्रान्ति की शुरुआत की नींव पड़ी थी। तब से लेकर आज की बात करें तो देश दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा टेलिकॉम मार्केट बन चुका है। भारत में तेजी से मोबाइल फोन यूजर्स की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है।
पहला मोबाइल कॉल इनके नाम है दर्ज
31 जुलाई, 1995 में ही पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने पहली मोबाइल कॉल कर तत्कालीन केंद्रीय दूरसंचार मंत्री सुखराम से बात की थी। शुरुआत में मोबाइल नेटवर्क की शुरुआत के समय आउटगोइंग कॉल्स के अलावा, इनकमिंग कॉल्स के पैसे भी देने होते थे।
ऐसा माना जाता है कि मोबाइल सेवा शुरू होने के 5 साल बाद तक मोबाइल सब्सक्राइबर्स की संख्या 50 लाख पहुंची। लेकिन इसके बाद यह संख्या कई गुना तेजी से बढ़ी। अगले 10 साल में मोबाइल सब्सक्राइबर्स बेस बढ़कर 687.71 मिलियन हो गया। भारत में मोबाइल सेवा को ज्यादा लोगों तक पहुंचने में समय लगा और इसकी वजह थी महंगे कॉल टैरिफ। शुरुआत में एक आउटगोइंग कॉल के लिए 16 रुपये प्रति मिनट तक शुल्क लगता था।
पहली मोबाइल ऑपरेटिंग कंपनी
भारत की पहली मोबाइल ऑपरेटिंग कंपनी मोदी टेल्स्ट्रा थी और इसकी सर्विस को मोबाइल नेट (mobile net) के नाम से जाना जाता था। पहला मोबाइल कॉल इसी नेटवर्क पर किया गया था
मोदी टेल्स्ट्रा भारत के मोदी ग्रुप और ऑस्ट्रेलिया की टेलिकॉम कंपनी टेल्स्ट्रा का जॉइंट वेंचर था। यह कंपनी उन 8 कंपनियों में से एक थी जिसे देश में सेल्युलर सर्विस प्रोवाइड करने के लिए लाइसेंस मिला था…Next
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