अपनी आवाज और जुगलबंदी से लोगों के दिलों के तार छेड़ने वाले गजल सम्राट जगजीत सिंह का आज निधन हो गया. वह 71 वर्ष के थे. मस्तिष्काघात (ब्रेन हैमरेज) के बाद 23 सितंबर, 2011 की शाम को जगजीत सिंह की शल्य चिकित्सा हुई थी और उसी समय से वह गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में थे. तब से उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी. 10 नवंबर यानि आज सुबह आठ बजे उनकी मृत्यु हो गई.
जगजीत सिंह अपनी मखमली आवाज और गजलों के लिए जाने जाते थे. उन्होंने कई फिल्मों के लिए भी गीत भी गाए हैं. भारत में गजल गायकी को नई ऊंचाइयां देने के लिए जगजीत सिंह हमेशा याद किए जाते रहेंगे. अपने जीवन में उन्होंने हमें ऐसे कई गाने दिए हैं जिन्हें हम हर मूड में सुनना पसंद करते हैं.
हिन्दुस्तान के गजल गायकों में जगजीत सिंह का नाम बहुत ही सम्मान से लिया जाता है. भारत के गजल बादशाह के रूप में विख्यात 70 वर्षीय जगजीत सिंह एवं उनकी पत्नी चित्रा ने देश में आधुनिक गजल गायकी को शिखर तक पहुंचाया. अब तक वे 50 से ज्यादा अलबम निकाल चुके हैं.
हिंदी के अलावा पंजाबी, बांग्ला, उर्दू, गुजराती, सिंधी और नेपाली में भी उन्होंने कई गीत-गजल गाए हैं. 2003 में भारत सरकार ने कला के क्षेत्र में उनके खास योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया.
जगजीत जी का जन्म 8 फरवरी, 1941 को राजस्थान के गंगानगर में हुआ था. उनके पिता का नाम अमर सिंह धिमान और मां का नाम बचन कौर था जो पंजाब के ढल्ला गांव के निवासी थे. उनके पिता एक सरकारी कर्मचारी थे. उनकी चार बहनें और दो भाई थे. श्रीगंगा नगर के खालसा हाई स्कूल से मैट्रिक पास करने के बाद उन्होंने श्रीगंगानगर के ही सरकारी कॉलेज से बारहवीं पूरी की. जालंधर के डीएवी कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन पूरी की.
बचपन से ही उन्हें संगीत का काफी शौक था. सैनिया घराने से ताल्लुक रखने वाले जगजीत सिंह ने उस्ताद जमाल खान से खयाल, ठुमरी, ध्रुपद जैसी गायन विधाओं में महारत हासिल की.
जगजीत सिंह की संगीत की धुन ने उन्हें पहली बार एक गुजराती फिल्म में गाने का मौका दिया. फिल्म “धरती का चारू” में उन्होंने एक गीत गाया था.
1970 के दौर में ही जगजीत सिंह ने अपने कॅरियर को सातवें आसमान पर पहुंचा दिया. नूरजहां, बेगम अख्तर और मेंहदी हसन जैसे बड़े गजल गायकों के साथ जोड़ी बनाने वाले जगजीत सिंह ने इसी दौर में लोगों को अपना दीवाना बनाया.
1967 में उनकी मुलाकात चित्रा नामक एक गायिका से हुई जिनके साथ जिंदगी की जोड़ी बना उन्होंने कई हिट गाने गाए. जगजीत सिंह सालों तक अपने पत्नी चित्रा सिंह के साथ जोड़ी बना कर गाते रहे.
जगजीत सिंह के दर्द भरे नगमें सुनकर कई बार लगता है ना कि आखिर इस आवाज में इतना दर्द आया कहां से तो यह दर्द आया है उनकी अपनी जिन्दगी से. 1990 में जगजीत सिंह और चित्रा के बेटे विवेक की एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. इसके बाद जगजीत सिंह कई महीनों तक नहीं गाए थे और उनकी पत्नी चित्रा ने तो गाना ही बंद कर दिया. चित्रा दो साल पहले अपनी बेटी को भी खो चुकी हैं. उनकी पहली शादी से जन्मी मोनिका ने बांद्रा के अपने फ्लैट में खुदकुशी कर ली थी. बेटी की मौत की वजह से जगजीत सिंह भी अवसाद में चले गए थे.
गजलों के साथ भजन और गुरूवानी गाने में भी जगजीत सिंह को अव्वल माना जाता था. उनके गाए हुए हरे कृष्णा, हे राम हे राम, मन जीते जगजीत जैसे गजलों से कई लोगों की सुबह शुरू होती है.
फिल्मी गानों में फिल्म ‘प्रेमगीत’ का ‘होठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो’, फिल्म ‘खलनायक’ का ‘ओ मां तुझे सलाम’, संजय दत्त और काजोल अभिनीत फिल्म ‘दुश्मन’ का ‘चिट्ठी ना कोई संदेश’ और ‘सरफ़रोश’ का ‘होशवालों को ख़बर क्या बेख़ुदी क्या चीज़ है’ जैसे कई गीतों को उन्होंने अपनी आवाज दी. फिल्म “तेरे बिन” में भी अधिकतर गानों को अपनी आवाज देकर उन्होंने संगीतप्रेमियों को नया खजाना दिया.
अटल बिहारी वाजपेयी के गीतों की दो अलबम नई दिशा 1999 में और संवेदना 2002 में निकाली जिसमें जगजीत सिंह ने अपनी आवाज के साथ-साथ संगीत भी दिया था. टीवी सीरियल मिर्ज़ा ग़ालिब में मिर्ज़ा ग़ालिब की चुनिंदा गज़लों को अपनी आवाज दी. इस सीरियल में गाए गए जगजीत सिंह के गाने बहुत ही लोकप्रिय हुए और दशकों बाद भी इसके एल्बम संगीत प्रेमियों की पसंद बने रहे.
गजल सम्राट जगजीत सिंह को घुडसवारी का भी शौक था. जब भी उन्हें समय होता तो वह महालक्ष्मी इलाके के रेसकोर्स में जाते और अपने घोड़ों के साथ समय बिताते.
आज हमारे बीच गजल सम्राट तो नहीं रहे पर उनके गीत हमेशा लोगों के दिलों में बसे रहेंगे.
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