2जी घोटाले में देश को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाने वाले ए राजा को जमानत मिल चुकी है. देश के इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला करने वाले ए राजा ने सबके सामने एक आदर्श उदाहरण पेश किया है कि अगर आपकी जेब में पैसा है तो किस तरह न्याय आपकी जेब में रहता है. तिहाड़ में तो जनाब सिर्फ मौज के लिए थे, क्यूंकि यहां भी ए राजा को किसी राजा से कम सहूलियतें नहीं दी गई थीं?
देश में लचर न्याय प्रणाली का ना जानें यह कैसा खेल है कि जहां एक पूर्व भाजपाई को तो कुछ चन्द लाख रूपए के लिए दो से तीन साल की सजा होती है वहीं लाखों करोड़ो का घोटाला करने वाले कांग्रेसी नेता को कुछ ही महीनों की सजा के बाद जमानत दे दी जाती है. अदालत ने राजा को मात्र बीस लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के दो बांड पर जमानत देने का आदेश दिया.
घोटालों का बाप है 2जी घोटाला
2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला अब तक के सभी घोटालों का बाप है. इस घोटाले से सरकारी खजाने को 1,76,000 हजार करोड़ रुपये चपत लगी है. आजादी के बाद शायद वर्ष 2010 ही ऐसा साल रहा जिसमें एक हफ्ते के भीतर ही तीन मंत्रियों को भ्रष्टाचार के आरोप में त्यागपत्र देने पड़े. जिनमें सुरेश कलमाड़ी राष्ट्रमंडल खेल [70,000 हजार करोड़], महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण [आदर्श सोसायटी घोटाला और दूरसंचार मंत्री ए राजा [1 लाख 76 हजार करोड़] शामिल हैं. लेकिन इन सबमें से सबसे बड़े नटवर लाल का खिताब तो सिर्फ ए राजा के ही सर जाएगा.
सन् 2008 में 9 टेलीकॉम कंपनियों को 1658 करोड़ रुपये के एवज में पूरे देश में लगभग 122 सर्कलों के 2जी मोबाइल सेवा के लिए लाइसेंस दिए गए. इसमें सरकार को अरबों डालर का नुकसान उठाना पड़ा.
13 सर्कलों के लिए 340 मिलियन डालर में लाइसेंस खरीदने वाली स्वान टेलीकॉम ने स्पेक्ट्रम 900 मिलियन डालर में अरब की कंपनी अतिस्लास को बेच दिए. वहीं, यूनिटेक ने 365 मिलियन डालर का भुगतान कर स्पेक्ट्रम नार्वे की कंपनी तेल्नेर को 1.36 बिलियन डालर में बेच दिए.
साफ सी बात है कि कम पैसों में स्पेक्ट्रम खरीद विदेशी कंपनियों ने दूसरी कंपनियों को ज्यादा भाव में बेच कर अंधा पैसा कमाया. और इन सब से नुकसान हुआ भारत का. इस पूरे सौदेबाजी में देश के खजाने को 1,76,000 हजार करोड़ की हानि हुई.
देश के ईमानदार अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कहते रहे कि हमारे दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने किसी भी नियम का अतिक्रमण नहीं किया और वह अपने भ्रष्ट मंत्रियों के दोष छिपाते रहे. आखिरकार क्यूं देश के प्रधानमंत्री ने मात्र मजबूरी के नाम पर देश को 1,76,000 हजार करोड़ की आर्थिक हानि होने दी?
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