आरक्षण एक ऐसा मुद्दा जिसपर सभी की राय एक नहीं हो सकती। जब भी आरक्षण से जुड़ी कोई खबर चर्चा में आती है उस पर फिर से बहस छिड़ जाती है। जैसे हाल ही में आर्थिक रूप से गरीब सवर्ण वर्ग को आरक्षण मिला है। सवर्ण वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरी में 10 फीसदी आरक्षण देने के फैसले पर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 7 जनवरी को मुहर लगाई, जिसके बाद आरक्षण व्यवस्था को लागू करने के लिए 8 जनवरी को लोकसभा में संविधान का 124वां संशोधन विधेयक 2019 पेश किया गया था। लंबी बहस के बाद यह विधेयक लोकसभा में पास हो गया।
अब इसके अगले दिन राज्यसभा में इस संशोधन विधेयक को पेश किया गया और लंबी बहस के बाद यहां भी पास कर दिया गया। दोनों सदनों से बिल पास होने के बाद मंजूरी के लिए राष्ट्रपति कोविंद के पास भेजा गया। जहां राष्ट्रपति कोविंद ने भी बिल पर हस्ताक्षर कर अपनी मंजूरी दे दी।
सवर्ण आरक्षण लागू करने वाला पहला राज्य बना गुजरात
संसद से पारित आरक्षण बिल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को मंजूरी दे दी। इसके बाद गुजरात सरकार ने 14 जनवरी से इसे लागू करने की बात कही है। गुजरात सरकार की तरफ से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि कानून पहले से घोषित उन नौकरियों पर भी लागू होगा, जिनकी भर्ती प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है। यह आरक्षण उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश और सरकारी नौकरियों में दिया जाएगा।
14 जनवरी को उत्तरायण शुरू होने के साथ सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश और सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण मिलेगा। साथ ही इसमें कहा गया कि आरक्षण की नई व्यवस्था उन दाखिलों और नौकरियों के लिये भी प्रभावी होगी जिनके लिए विज्ञापन 14 जनवरी से पहले जारी हुआ हो लेकिन वास्तविक प्रक्रिया शुरू न हुई हो। ऐसे मामलों में दाखिला प्रक्रिया और नौकरियों के लिये नए सिरे से घोषणाएं की जाएंगी। रिलीज में कहा गया कि भर्ती या दाखिला प्रक्रिया- परीक्षा या इंटरव्यू- 14 जनवरी से पहले शुरू हो चुके हैं तो 10 फीसदी आरक्षण लागू नहीं होगा…Next
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