गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर सभी तरह की अटकलें अब शांत हो चुकी हैं. नरेंद्र मोदी राज्य में तीसरी बार मुख्यमंत्री की शपथ लेने जा रहे हैं. इसके साथ ही गुजरात में लगातार पांचवीं बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने जा रही है. यह तो ठीक उसी तरह की स्थिति हो गई जैसे वाम दलों के लिए कभी पश्चिम बंगाल बन गया था. राज्य की 182विधानसभा सीटों में से भाजपा को 115 सीटें हासिल हुई हैं जबकि वर्ष 2007 में भाजपा को 117सीटें को मिली थी. वहीं कांग्रेस और उसके सहयोगियों को 61 सीटें मिली हैं. 2007 में कांग्रेस को 59 सीटें मिली थीं. जबकि भाजपा से अलग हुए केशुभाई पटेल के नेतृत्व वाली गुजरात परिवर्तन पार्टी को 2 सीटों से ही संतोष करना पड़ा. एक तरफ जहां गुजरात में भाजपा को बड़ी जीत हासिल हुई वहीं दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश में उसे हार का सामना करना पड़ा. वहां कांग्रेस को 36 जबकि बीजेपी को 26 सीटें ही हासिल हुईं.
कभी अहमदाबाद में राष्ट्रीय संघ कार्यालय के सामने चाय बेचने वाले नरेंद्र मोदी आज देश के शक्तिशाली शख्सियत बन चुके हैं. गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्म दामोदारदास मूलचंद मोदी व उनकी पत्नी हीराबेन मोदी के घर मेहसाणा जिले में हुआ. 17 सितंबर, 1950 को बेहद साधारण परिवार में जन्में मोदी अपने विद्यार्थी जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे. युवावस्था से ही उनके अंदर राजनीति को लेकर अलग से ही क्रेज था. संघ कार्यकर्ता के तौर पर मोदी छोटी उम्र से ही संघ के बड़े पदाधिकारियों के घर आना-जाना रहा हैं. संघ के पदाधिकारियों की मानें तो मोदी संघ के कार्यालय में खाना बनाने से लेकर पोंछा लगाने तक का काम करते थे.
मोदी पढ़ने में काफी तेज थे. उनकी विशेष रुचि समाजशास्त्र, इतिहास और राजनीति में थी. इन विषयों को वे बहुत रुचि के साथ पढ़ा करते थे. मोदी के असाधारण व्यक्तित्व और उनके कठोर परिश्रम का ही फल था कि वह धीरे-धीरे संघ की तरफ से राजनीतिक कार्यों में भाग लेने लगे. 1991 में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी की एकता यात्रा के संयोजन की जिम्मेदारी नरेंद्र मोदी को दी गई. उसके बाद मोदी की क्षमता को देखते हुए उन्हें पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर का प्रभारी बना दिया गया. लेकिन मोदी को यहीं नहीं रुकना था उन्हें तो गुजरात का मुख्यमंत्री बनना था.
यह 2001 की बात है जब भाजपा को दो उपचुनाव और स्थानीय निकायों के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. उस समय राज्य के मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल थे इस लिहाज से हार की सभी जिम्मेदारी उनके सर मढ़ दी गई. इसके बाद मोदी के लिए मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया. नरेंद्र मोदी को 7 अक्टूबर, 2001 को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया गया. इसके बाद से अब तक गुजरात और केंद्र में कोई ऐसी ताकत नहीं रह गई थी जो नरेंद्र मोदी का बाल भी बांका कर पाए. गुजरात कांग्रेस और यूपीए सरकार ने मोदी को पटकनी देने के लिए हर संभव प्रयास किए लेकिन नाकमयाबी ही मिली. गुजरात में मोदी के नेतृत्व में भाजपा की बड़ी जीत के अब इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या भाजपा मोदी को प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में घोषित करेगी.
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