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आज है नई दिल्‍ली का जन्‍मदिन, जानें कैसे बसी थी यह खूबसूरत राजधानी

राजधानी नई दिल्‍ली आज दुनिया की बेहतरीन और खूबसूरत राजधानियों में गिनी जाती है। भव्‍य और खूबसूरत राष्‍ट्रपति भवन से लेकर संसद भवन तक को देखकर एक पल को सभी की निगाहें ठहर जाती हैं। मगर क्‍या आपको पता है कि जिस नई दिल्‍ली की खूबसूरती और भव्‍यता को देखने के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं, उसे बनाने की शुरुआत कब हुई थी। हो सकता है आपका जवाब ‘नहीं’ हो, तो आपको बता दें कि वो तारीख आज की ही है। जी हां, आज यानी 15 दिसंबर को नई दिल्‍ली का जन्‍मदिन है। 15 दिसंबर को ही इसे बसाने की नींव रखी गई थी। आइये आपको बताते हैं कि कब और कैसे हुई थी इसकी शुरुआत।


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15 दिसंबर को रखी गई नींव

12 दिसंबर, 1911 को देश की राजधानी कोलकाता की जगह दिल्ली को बनाने का एलान हुआ। इसके चार दिन बाद यानी 15 दिसंबर, 1911 को जॉर्ज पंचम ने किंग्सवे कैंप में नई दिल्ली की नींव का पत्थर रखा। पहले वायसराय आवास (अब राष्ट्रपति भवन), संसद भवन, साउथ ब्लॉक, नॉर्थ ब्लॉक, कमांडर-इन चीफ आवास (तीन मूर्ति भवन) का डिजाइन तैयार करने का निर्णय लिया गया। एडविन लुटियन को नई दिल्ली के मुख्य आर्किटेक्ट का पद सौंपा गया। 1913 में एक कमिटी का गठन हुआ। इसका नाम था ‘दिल्ली टाउन प्लानिंग कमेटी’। इसके प्रभारी एडविन लुटियन थे।


हाथी पर सवार होकर घूमते थे आर्किटेक्‍ट

लुटियन जब अपने साथियों के साथ नई राजधानी के निर्माण के लिए 1913 में यहां आए, तो तय हुआ कि पहले देख लिया जाए कि नई दिल्ली की मुख्य इमारतें कहां बनेंगी। इसके बाद लुटियन और उनके साथी हरबर्ट बेकर हाथी पर सवार होकर दिल्ली भर में घूमते थे। भारत आने से पहले ही बेकर साउथ अफ्रीका, केन्या और कुछ अन्य देशों की अहम सरकारी इमारतों का डिजाइन तैयार कर चुके थे।


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कई ठेकेदारों ने दिन-रात की मेहनत

नई दिल्ली को भारत की नई राजधानी बनाने में कई ठेकेदारों ने दिन-रात मेहनत की थी। उन्होंने ही नई दिल्ली की इमारतों को नक्शे से उतारकर मूर्त रूप दिया। नई राजधानी का नक्शा बनने लगा, तो सवाल उठा कि यहां बनने वाली इमारतों के निर्माण के लिए ठेकेदार कहां से आएंगे? तब सरकार ने देशभर में ठेकेदारी करने वाले प्रमुख ठेकेदारों से संपर्क किया। इसके चलते दिल्ली में कई ठेकेदार आए। इनमें कुछ सिख ठेकेदारों ने नई दिल्ली के निर्माण में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई।


इन ठेकेदारों का अहम योगदान

सिख ठेकेदार सरदार सोबा सिंह अपने पिता सरदार सुजान सिंह के साथ सरगोधा (अब पाकिस्तान) के हडाली शहर से दिल्‍ली आए। सोबा सिंह ने नई दिल्ली में कनॉट प्लेस के कुछ ब्लॉक, राष्ट्रपति भवन के कुछ हिस्‍सों के साथ-साथ सिंधिया हाउस, रीगल बिल्डिंग, वॉर मेमोरियल का निर्माण किया। बैसाखा सिंह नॉर्थ ब्लॉक के मुख्य ठेकेदार थे। उन्होंने इसके अलावा कई प्राइवेट इमारतें भी बनवाईं। सरदार नारायण सिंह ने यहां की सड़कों को बनाया था। धर्म सिंह को राष्ट्रपति भवन, साउथ और नॉर्थ ब्लॉक के लिए राजस्थान के धौलपुर और यूपी के आगरा से पत्थरों की नियमित सप्लाई का ठेका मिला था। अपनी ईमानदारी के लिए मशहूर लक्ष्मण दास ने संसद भवन को बनवाया। इनके अलावा कई और ठेकेदारों ने भी महत्‍वपूर्ण इमारतें बनवाईं।


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राजस्‍थान के मजदूर करते थे काम

सभी ठेकेदार मुख्य रूप से राजस्थान के मजदूरों से काम करवा रहे थे। कुछ मजदूर पंजाब से भी थे। ये दिन-रात काम करते थे। इनके साथ इनके साथियों-सहयोगियों की अच्‍छी टीम भी थी। इनमें प्लंबर, मेसन, बिजली का काम करने वाले शामिल थे। एडवर्ड लुटियन जब अपने आर्किटेक्ट साथियों से मीटिंग करते, तब इन सभी ठेकेदारों को भी बुला लेते थे। उनकी राय को भी तरजीह मिलती। इस तरह सैकड़ों लोगों की मेहनत से बसी खूबसूरत राजधानी नई दिल्‍ली…Next


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