हिन्दी में एक पुरानी कहावत है ‘बूंद-बूंद से घड़ा भरता है, उसी तरह एक-एक नम्बर कीमत फेल और पास के बीच झूलता स्टूडेंट समझ सकता है, बहरहाल, बिहार में एक किस्सा ऐसा सामने आया है, जिसमें एक नम्बर की बेवजह कटौती बिहार शिक्षा बोर्ड को भारी पड़ गई। पटना हाई कोर्ट ने बिहार स्कूल परीक्षा परिषद (बीएसईबी) पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना 2017 में 10वीं की परीक्षा में शामिल हुई।
एक छात्रा के मामले में लगाया गया, जिसकी हिंदी की कॉपी जांचने में 2 नंबर के एक उत्तर के मार्क्स फाइनल रिजल्ट में नहीं जोड़े गए थे। बाद में जब कॉपी दोबारा जांची गई तो वही लड़की राज्य की सेकंड टॉपर निकली। रिजल्ट के रिविजन के बाद बेगूसराय की रहने वाली भव्या कुमारी को उस उत्तर के बदले एक अंक दिया गया है। भव्या के अब 500 में 465 नंबर हो गए हैं, जो साल 2017 में टॉप करने वाले छात्र के बराबर ही हैं।
दुबारा से चेक कराई अपनी कॉपी
जुलाई 2017 में रिजल्ट जारी होने के बाद भव्या ने अपनी कॉपी दोबारा जांच के लिए निकलवाई थी। भव्या ने आरटीआई के तहत हिंदी, सोशल साइंस और संस्कृत की कॉपी मांगी थी। भव्या के वकील ने बताया, ‘भव्या को मार्च 2018 में तीनों कॉपियों के डुप्लीकेट उपलब्ध कराए गए थे जिसके बाद उसने हाई कोर्ट का रुख किया।’
कोर्ट को बताया गया कि हिंदी की कॉपी में तीन उत्तर और संस्कृत और सोशल साइंस की कॉपी में एक-एक उत्तर का मूल्यांकन ही नहीं किया गया था। हालांकि, वकील के मुताबिक, बोर्ड ने सिर्फ एक ही उत्तर के मार्क्स जोड़ने की सहमति दी…Next
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