तितली तूफान ओडिशा और आंध्रप्रदेश के समुद्र तटीय इलाकों की ओर बढ़ रहा है। जिसकी वजह से इस पूरे क्षेत्र में भारी बारिश की भी आशंका है। तितली के खतरे की वजह से ओडिशा और आंध्रप्रदेश सरकार खास एहतियात बरत रही है। ओडिशा में चार जिलों के सभी स्कूलों और कॉलेजों को बंद रखने का आदेश दिया गया है। ख़तरे की जगहों पर मौजूद लोगों को हटाया जा रहा है। ओडिशा से लगभग 3 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। साथ ही मछुआरों को समुद्र से दूर रहने की हिदायत दी गई है। तितली तूफान से पहले प्यारे और खूबसूरत नामों वाले खतरनाक तूफान रहे हैं, जो कई हिस्सों में भारी तबाही मचा चुके हैं। आइए, आपको बताते हैं कैसे तय होता है तूफानों का नाम।
ऐसे तय होते हैं तूफानों के नाम
20वीं सदी की शुरुआत में सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया के मौसम विज्ञानी क्लीसमेंट व्रेग ने ट्रॉपिकल साइक्लोीन को नाम देने का चलन शुरू किया। 1887-1907 के दौरान उन्होंवने कई नाम दिए। वे अक्स्र अपने देश के जिन राजनेताओं को पसंद नहीं करते थे, उनके नाम के आधार पर ही साइक्लोरन का नामकरण कर देते थे। द्वितीय विश्व 9 युद्ध के दौर में अमेरिकी एयर कॉर्प और नेवी के मौसम विज्ञानी आमतौर पर अपनी पत्नियों/गर्लफ्रेंड के नाम पर प्रशांत क्षेत्र में उठने वाले ट्रॉपिकल साइक्लो न का नाम रख देते थे। 1950-1952 के दौरान उत्तमरी अटलांटिक महासागर के ट्रॉपिकल साइक्लो न का अंग्रेजी वर्णमाला के वर्णक्रम के आधार पर नामकरण किया जाने लगा। उसके बाद 1953 में अमेरिकी मौसम ब्यूररो ने इसके लिए महिलाओं के नामों को चुना। 1979 से विश्वअ मौसम संगठन और अमेरिकी नेशनल वेदर सर्विस ने ऐसे नामों की सूची बनाई जिनमें पुरुष नाम भी शामिल थे।
पाकिस्तान ने दिया है ‘तितली’ का नाम
32 तूफानों की सूची में भारत द्वारा दिए गए चार नाम- लहर, मेघ, सागर और वायु हैं। बता दें कि काफी चर्चा में रहे तूफान हेलेन का नाम बांग्लादेश ने, नानुक का म्यांमार ने, हुदहुद का ओमान ने, निलोफर और वरदा का पाकिस्तान ने, मेकुनु का मालदीव ने और हाल में बंगाल की खाड़ी से चले तूफान ‘तितली’ का नाम पाकिस्तान द्वारा दिया गया है।
आगामी तूफानों में गाजा, फेथाई, फानी, वायु, हिक्का, क्यार, माहा, बुलबुल, पवन और अम्फान हैं। यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि ये सभी तूफान उत्तरी हिंद महासागर से संबंधित हैं।
1839 में र्कोंरगा तूफान का बरपा था कहर
आंध्रप्रदेश के र्कोंरगा में 25 नवंबर 1839 को आए इस च्रकवाती तूफान ने करीब 3 लाख लोगों की जिंदगी ले ली और 25 हजार जहाजों को बर्बाद किया था। आंध्रप्रदेश को इससे उबरने में कई साल लग गए थे…Next
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