दिल्ली में यूं तो कई ऐसी मशहूर और ऐतिहासिक जगहें हैं जो हमेशा चर्चा में रहती हैं पर दिल्ली का रामलीला मैदान शुरू से ही राजनीतिक हलचलों की वजह से चर्चा का केंद्र रहा है. अभी हाल ही में बाबा रामदेव जब रामलीला मैदान में अनशन पर बैठे थे तो लोगों का ध्यान इस मैदान की तरफ गया था और अब एक बार फिर सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम छेड़ने वाले अन्ना हजारे ने इस मैदान का रुख किया है. दिल्ली का रामलीला मैदान हमेशा से ही सरकार के विरोध, धरना प्रदर्शन या रैलियों के लिए एक उपयुक्त जगह साबित हुआ है. खुली जगह और हर जगह से यहां पहुंच पाने की सुविधा इसे लोगों से संपर्क साधने का बेहतरीन स्थल बनाती है. आइए जानें इस ऐतिहासिक रामलीला मैदान की कुछ बातें.
इतिहास के पन्नों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका दिल्ली का रामलीला मैदान एक बार फिर देश-दुनिया में सुर्खियों में है. वर्ष 1975 में यह मैदान जेपी आंदोलन का भी गवाह बना था, जिसकी परिणति इंदिरा गांधी सरकार की हार की रूप में हुई थी.
इतिहास बताता है कि यह मैदान 128 साल का हो चुका है. वर्ष 1883 में अंग्रेजों ने इसे अपने सैनिकों के कैंप के लिए तैयार करवाया था. मैदान में उनके लिए तंबू वाले घर बनाए गए थे. अंग्रेजों ने मैदान में कई आयोजन भी कराए. इसी बीच पुरानी दिल्ली के कई हिंदू संगठनों द्वारा इस मैदान में रामलीलाओं का आयोजन किया जाने लगा. परिणामस्वरूप इसकी पहचान रामलीला मैदान के रूप में हो गई.
देश की आजादी के बाद दिसंबर 1947 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने रामलीला मैदान में एक बड़ी रैली की. रैली को संघ के दूसरे सर संघ चालक माधव राव सदाशिव राव गोलवलकर ने संबोधित किया था. वर्ष 1949 में फिर संघ ने यहीं एक बड़ी पब्लिक मीटिंग की. दिसंबर 1952 में रामलीला मैदान में जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को लेकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने सत्याग्रह किया था. इससे सरकार हिल गई थी. देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने सन् 1956 और 57 में इसी मैदान में जनसभा की.
28 जनवरी, 1961 को ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ ने रामलीला मैदान में ही एक बड़ी सभा को संबोधित किया था. 26 जनवरी, 1963 में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की उपस्थिति में लता मंगेशकर ने एक कार्यक्रम पेश किया. मार्च 1973 में दलाईलामा ने बुद्धिज्म पर भाषण दिया. वर्ष 1977 में तत्कालीन विदेश मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी यहां पर विशाल जनसभा की थी. इसके बाद भी यहां पर कांग्रेस, भाजपा सहित अन्य दलों, संगठनों और धार्मिक संगठनों के कई ऐतिहासिक कार्यक्रम होते आए हैं.
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