बचपन में कॉमिक्स की दुनिया में खो जाने की आदत अब कार्टून देखने में बदल चुकी है. कार्टून का दर्शकों पर असर होता है. किसी पर थोड़ा, किसी पर गहरा. ये कार्टून बच्चों और किशोरों के मस्तिष्क पर गहरी छाप छोड़ती है. यह ब्लॉग कार्टून से उपजे पाकिस्तानी दो भाईयों के इसी शौक पर आधारित हैं.
दो भाई पावर किड्स चैनल्स पर आने वाले प्रसिद्ध कार्टून शो जंगल बुक देखने के आदी थे. इस शो से अत्यधिक प्रभावित होकर उनमें से एक 22 वर्षीय हसन पहली बार एक सैंड बोआ(साँप) खरीद कर घर ले आया. इससे पहले वो ईद के त्योहार पर गाय और बकरियाँ घर लाते रहते थे. इसके अलावा उन्हें तोते पालने का भी शौक था. कुछ समय के बाद उन्होंने मगरमच्छ पाला और यहीं से उन्हें साँपों के बारे में जानकारी मिली.
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कुछ महीनों के बाद वो छह फुट का भारतीय अजगर घर लेकर आये जिसका वजन 68 किलोग्राम था. तब से पाँच साल बीतने के बाद उनके घर में अब सौ से अधिक साँप हैं. हालांकि, अपने शौक को पूरा करने में उन्हें पापड़ भी बेलने पड़े हैं.
रिहायशी इलाके में रहने के कारण उन्हें यह ध्यान रखना पड़ा कि कोई साँप उनके घर के दीवारों के सहारे पड़ोसियों के घर में न रेंग कर पहुँच जाये. साँप पालने के शौक में कई बार उन्हें पड़ोसियों की बातें सुननी पड़ी.
उन्होंने विभिन्न तरह के 16 अजगर खरीदे हैं जिनमें से सबसे बड़ी एक मादा है जो अक्सर हसन के गर्दन से लिपटी देखी जा सकती है. कुछ साँप उन्होंने अमेरिका से आयात किये हैं. उनके पास ब्रीडिंग से पैदा हुए शावक साँप भी जिनकी लम्बाई करीब एक फुट की है. साँपों के रख-रखाव पर दोनों भाई प्रति माह 15,000 पाउंड से भी अधिक खर्च करते हैं. भोजन के लिये ये साँप बत्तखों, मुर्गियों पर निर्भर रहते हैं. हसन पर कई बार युवा साँप ने हमला भी किया है. इसके बावजूद हामज़ा और हसन हुसैन को इनसे गहरा लगाव है.Next….
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