सिंगिंग या डांस रिएलिटी शोज ने प्रतिभाओं को निखारने या सभी के सामने लाने से ज्यादा व्यवासायिकरण पर ध्यान दिया है। टीआरपी की रेस में रिएलिटी शो कुछ भी करने को तैयार दिखाई देते हैं। ये जज करते है कि किसका डांस मूव या सिगिंग बेहतर है या कौन अगला डांसिंग स्टार बनने के लायक है, इनमें से कुछ चुन लिए गए और बाकी निकाल दिए जाते हैं। हमें टीवी पर देखने पर रिएलिटी शो की यह दुनिया बहुत ही निराली लगती है लेकिन चमक-दमक से भरी इस दुनिया का स्याह पहलू हाल ही में ऑडिशन देने आए एक लड़के ने बयां की।
मिनी माथुर ने भी दिया साथ
सिंगिंग रियलिटी शो इंडियन आइडल का नया सीजन जल्द ही शुरू होने वाला है। ऐसे में इस ऑडिशन देने आए इस लड़के की कहानी एक बार फिर से चर्चा में आई हुई है। अगस्त 2018 में एक युवक ने बताया कि ऑडीशन में किस तरह का अमानवीय व्यवहार होता है, हालांकि युवक के आरोपों पर चैनल का कभी कोई जवाब नहीं आया। वहीं शो की होस्ट रह चुकीं मिनी माथुर ने युवक का साथ दिया था और कहा था कि साल 2012 के बाद उन्होंने शो को छोड़ना ही ठीक समझा।
@minimathur 👏👏👏 https://t.co/vKnzUVM24k
— Gopal Das (@randomthakkar) August 22, 2018
This sucks. Thanks for forwarding me this thread. I wasn’t part of the 2012 season but I know most of what he has articulated is known to happen on reality tv. One of the reasons I bowed out. This incessant need to create false emotion.
RIP Organic, pure TV.— Mini Mathur (@minimathur) August 22, 2018
चमकती दुनिया की स्याह सच्चाई
साल 2012 में ऑडिशन दे चुके निशांत कौशिक नाम के एक शख्स ने एक के बाद एक ट्वीट कर शो के बारे में कई चौंकाने वाली बातें बताईं। निशांत ने लिखा कि ‘माना जाता है कि यह शो टैलेंट को आगे बढ़ाने का काम करते हैं और सही प्लेटफॉर्म हैं लेकिन मेरा मानना है कि अपने सपनों को नष्ट करने का यह सबसे सही प्लेटफॉर्म है।’ निशांत ने बताया कि ‘मई 2012 में मुंबई में ऑडिशन आयोजित कराए गए थे। जहां मैं केवल मस्ती के लिए पहुंचा था। यहां पहुंचकर देखा करीब 2 किलोमीटर तक लंबी लाइनें लगी थीं। मैंने नोटिस किया कुछ लोगों में बहुत जोश था। वो अपने सपनों को पूरा करने के लिए यहां तक पहुंचे थे। कुछ लोग ऐसे भी थे जो अपनी मां के साथ थे तो कुछ ऐसे थे जो अकेले ही यात्रा करके यहां तक पहुंचे थे।’
टीआरपी के अलावा किसी बात से मतलब नहीं
‘घंटों इंतजार करना था लेकिन ना तो वहां टॉयलेट की व्यवस्था थी और न ही खाने-पीने की। अगर आप लाइन छोड़कर जाते हैं तो आप अपनी जगह भी खो देंगे। तो क्या एक बजे के करीब हमारा इंतजार खत्म हो गया? नहीं, गलत! एक बजे तो हमें किसी झुंड की तरह स्कूल ग्राउंड के एक स्टेज की तरफ भेजा गया। थोड़ी देर में वहां पिछले साल का एक विनर श्रीराम आता है और स्पीकर पर बज रहे गानों पर केवल अपने होठों को हिलाता है।’
‘ये सब शाम 5 बजे तक चलता रहा। तभी मैंने नोटिस किया कि वहां इतनी भीड़ के लिए एक टैंक पानी और एक टॉयलेट लगाया गया था। जब मैंने क्रू से यह पूछा कि क्या हम खाने या पानी के लिए जा सकते हैं? तो क्रू ने कहा- आप अपने रिस्क पर जाइए क्योंकि ऑडिशन किसी भी वक्त शुरू हो सकते हैं। शाम 8 बजे तक ऑडिशन शुरू नहीं हुए और फिर हमें एक एक अन्य स्टेज के सामने चिल्लाने के लिए कहा गया। हमें चिल्लाने लिए कहा गया कि वी लव इंडियन आइडल।’
निशांत ने आगे लिखा कि ‘ मैं तीन राउंड के बाद ऑडीशन से आधी रात को बाहर हो गया लेकिन मैं घर आकर खुश हूं। किसी भी कलाकार को अपनी प्रतिभा को आगे बढ़ाने के लिए दोस्तों, परिवारवालों की मदद लेनी चाहिए बजाय इन रियलिटी शो के। इन रियलिटी शो को कोई हक नहीं है कि कलाकारों की ऐसी बेइज्जती करे। टीआरपी के भूखे इन शोज को टैलेंट से कोई मतलब नहीं होता है।’…Next
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