इंडोनेशिया में शनिवार को आई सुनामी से मारे गए लोगों की संख्या बढ़कर 281 हो गई है। आशंका है कि ये संख्या और बढ़ सकती है। प्रभावित इलाक़ों में मलबों में दबे लोगों की तलाश की जा रही है। वहीं, इंडोनेशिया में क्रेकाटोआ ज्वालामुखी की सक्रियता को देखते हुए चेतावनी दी गई है कि उसके आसपास के तटीय इलाकों में रहने वाले लोग तटों से दूर रहें क्योंकि सुनामी की लहरें एक बार फिर अपना कहर बरपा सकती हैं।
भारत के इतिहास में ऐसे कई प्राकृतिक आपदाएं आई हैं, जो किसी प्रलयकारी हादसों से कम नहीं हैं। उन हादसों के बीत जाने के काफी वक्त बाद भी उन्हें आज भी याद किया जाता है, इनके से कई हादसे इतिहास में दर्ज हैं। जानते हैं ऐसे ही 5 हादसों के बारे में।
आइए, एक नजर डालते हैं उन प्रलयकारी हादसों पर।
लातूर भूकंप
वर्ष 1993 का यह भूकंप सबसे घातक भूकंपों में से एक था, जिसने महाराष्ट्र के लातूर जिले को अधिक प्रभावित किया था। जिसमें लगभग 20,000 लोग मारे गए और लगभग 30,000 से अधिक लोग घायल हो गए थे। भूकंप की तीव्रता को 6।4 रिक्टर पैमाने पर मापा गया था। जिसके कारण संपत्ति का भारी नुकसान हुआ था, हजारों घर मलबे के रुप में बदल गये थे और इस भूकंप ने 50 से अधिक गाँवों को नष्ट कर दिया था।
ओडिशा महाचक्रवात
यह 1999 में ओडिशा राज्य को प्रभावित करने वाले सबसे खतरनाक तूफानों में से एक है। इसे पारादीप चक्रवात या सुपर चक्रवात 05बी के रूप में जाना जाता है, यह चक्रवात राज्य के 10,000 से अधिक लोगों की मौत का कारण बना। इसने 275,000 से अधिक घरों को नष्ट कर दिया था और लगभग 1।67 मिलियन लोग बेघर हो गए थे। जब यह चक्रवात 912 एमबी की चरम तीव्रता पर पहुँच गया, तो यह उत्तर भारतीय बेसिन का सबसे मजबूत उष्ण कटिबंधीय चक्रवात बन गया था।
गुजरात भूकंप
26 जनवरी, 2001 की सुबह, जिस दिन भारत अपने 51 वें गणतंत्र दिवस का जश्न मना रहा था, उस सुबह गुजरात भारी भूकंप से प्रभावित हुआ। भूकंप की तीव्रता रियेक्टर पैमाने पर 7।6 से 7।9 की रेंज में थी और यह 2 मिनट तक जारी रहा था। इसका प्रभाव इतना बड़ा था कि लगभग 20,000 लोगों ने अपने जीवन को खो दिया था। अनुमान यह है कि इस प्राकृतिक आपदा में लगभग 167,000 लोग घायल हुए थे और लगभग 400,000 लोग बेघर हो गए थे।
हिंद महासागर सुनामी
2004 में एक बड़े भूकंप के बाद, हिंद महासागर में एक विशाल सुनामी आई थी, जिससे भारत और पड़ोसी देशों जैसे श्रीलंका और इंडोनेशिया में जीवन और संपत्ति का भारी नुकसान हुआ। भूकंप महासागर के केंद्र में प्रारम्भ हुआ था, जिसने इस विनाशकारी सुनामी को जन्म दिया। इसकी तीव्रता 9।1 और 9।3 के बीच मापी गयी थी और यह लगभग 10 मिनट के समय तक जारी रहा। एक रिपोर्ट के अनुसार, यह रिकॉर्ड किया गया दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा भूकंप था। इसकी विनाशकारी क्षमता हिरोशिमा मे डाले गए बमों के प्रकार के 23,000 परमाणु बमों की ऊर्जा के बराबर थी। जिसमें 2 लाख से अधिक लोग मारे गए थे।
उत्तराखंड में आकस्मिक बाढ़
वर्ष 2013 में, उत्तराखंड को भारी और घातक बादलों के रूप में एक बड़ी विपत्तिपूर्ण प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ा, जिससे गंगा नदी में बाढ़ आ गई। अचानक, भारी बारिश उत्तराखंड में खतरनाक भूस्खलन का कारण बनी, जिसने हजारों लोगों को मार दिया और हजारों लोगों की लापता होने की खबर है। मौतों की संख्या 5,700 होने का अनुमान था, 14 से 17 जून, 2013 तक 4 दिनों के लम्बे समय तक बाढ़ और भूस्खलन जारी रहा। जिसके कारण 1,00,000 से अधिक तीर्थयात्री केदारनाथ की घाटियों में फंस गये थे। आज, उत्तराखंड आकस्मिक बाढ़ भारत के इतिहास की सबसे विनाशकारी बाढ़ मानी जाती है…Next
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