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[Agni 5] दुश्मन को दहलाने वाली मिसाइल

agni 5जैसे ही गुरुवार को सुबह 8 बजकर 5 मिनट पर अग्नि-5 ने परीक्षण उड़ान भरी और करीब बीस मिनट के बाद इस मिसाइल ने अपने तय निशाने पर अचूक वार किया उसके बाद से भारत तथा विश्वभर से अग्नि-5 की सफलता पर प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गईं. राष्ट्रपति, पूर्व राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिकों को अग्नि-5 के सफल परीक्षण के लिए बधाई दी. भारत की इस सफलता पर अमरीका ने अपने जवाब में कहा कि भारत अपने पड़ोसी चीन के समकक्ष खड़ा हो गया है.


मिसाइलों से भयभीत चीन


अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 के सफलतम परीक्षण के बाद भारत ने वह मुकाम हासिल कर लिया है जिसे पाने के लिए विश्व के कई राष्ट्र जद्दोजहद करते हैं. इस परीक्षण के बाद भारत इंटर कांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) क्लब में शामिल हो चुका है जिसमें अभी अमरीका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन शामिल हैं. इस परीक्षण पर पूरे राष्ट्र को गर्व है और गर्व इस बात का भी है कि भारत ने यह उपलब्धि अपने ही बलबूते पर हासिल की है. अग्नि-5 के परीक्षण के बाद भारत ने उन सभी विरोधियों के दांत खट्टे कर दिए जो भारत पर नजरे गड़ाए हुए थे तथा उसकी शक्ति को कम आंकने की भूल कर रहे थे.


अग्नि पांच की क्या है खूबी?

अग्नि-5 मिसाइल की लंबाई 17.5 मीटर है और इसका वजन करीब 49 टन है और ये अपने साथ 1.5 टन तक के हथियार ले जाने में सक्षम है. जबकि इसे बनाने में करीब 2500 करोड़ रुपए की लागत आई है.

अग्नि-5 की मारक क्षमता पांच हजार किलोमीटर से भी ज्यादा है. इसका अर्थ यह हुआ कि इस मिसाइल की रेंज में अब बीजिंग और शंघाई के अलावा पूरे एशिया सहित आधा यूरोप भी आ जाएगा.

इस मिसाइल को वर्ष 2014-15 तक पूरी तरीके से सेना में शामिल किया जाएगा इसके बाद भारत की परमाणु निरोधक क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी.

जानकारी के मुताबिक अग्नि-5 तीन रॉकेटों के सहारे काम करता है जिसमें ठोस ईंधन का प्रयोग होता है.


अब तक के अग्नि सफर पर एक नजर

अग्नि-4: 3000 किलोमीटर से अधिक दूरी तक सतह से सतह पर मार करने वाली अग्नि-4 मिसाइल का सफल प्रक्षेपण 2011 को किया गया. इसकी लंबाई 20 मीटर है जबकि इसके हथियार वहन करने की क्षमता एक टन है. अग्नि-4 बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-2 मिसाइल का ही उन्नत रूप है.


अग्नि-3: करीब 1.5 टन परमाणु हथियार ले जाने वाली अग्नि-3 की मारक क्षमता 3500 किलो मीटर है जबकि इसकी लंबाई 17 मीटर है. इसका पहला परीक्षण 2006 में किया गया जो कुछ हद तक सफल बताया गया. उसके बाद 2007 और 2008 में अग्नि-3 का सफल प्रक्षेपण किया गया.


अग्नि-2- जमीन से जमीन तक मार करने वाली अग्नि-2 की मारक क्षमता 2000 किलोमीटर है जबकी इसकी लंबाई 21 मीटर है. इसमें अति आधुनिक नेविगेशन सिस्टम और तकनीक है. यह करीब एक टन हथियार वहन करने की क्षमता रखता है. इसका सफल परीक्षण मई 2010 में व्हीलर आईलैंड से किया गया.


अग्नि-1: इस मिसाइल की लंबाई 14 मीटर है जबकी इसकी मारक क्षमता 700 किलोमीटर है जबकि हथियार ले जाने की क्षमता लगभग 2 टन है. अग्नि-1 पर काम 1999 में शुरू हुआ था लेकिन इसका परीक्षण 2002 में किया गया. ताजा परीक्षण में भारत ने परमाणु क्षमता संपन्न अग्नि-1 प्रक्षेपास्त्र का दिसंबर 2011 में फिर से सफल परीक्षण किया.


भारत का परमाणु त्रिशूल


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