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कौन है इन मौतों का गुनहगार – युवा या सरकारी तंत्र

आईटीबीपी की भर्ती यूपी प्रशासन के लिए गले की फांस बन गई. बरेली में पहले तो भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की परीक्षा में उत्पात की वजह से भर्ती रद्द हो गई और फिर वापसी में छात्रों ने इतना हंगामा किया कि लाखों की सरकारी संपदा स्वाहा हो गई और इन सबके बाद वापस लौटते छात्रों के साथ बेहद दुखद घटना हो गई. नौकरी की आस लेकर गए छात्रों को नौकरी की जगह मौत मिली. एक तो आईटीबीपी की भर्ती में हुई असुविधाओं से छात्रों में खासा विरोध था और जब वह वापस जा रहे थे तब उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में रोजा रेलवे स्टेशन के पास मंगलवार को हुए भीषण हादसे में हिमगिरि एक्सप्रेस ट्रेन की बोगियों की छत पर बैठे अभ्यर्थियों के पुल से टकराकर गिरने पर 18 की मौत हो गई.


आईटीबीपी ने 410 जवानों की भर्ती का विज्ञापन दिया था. आवेदन करने के लिए उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा, पंजाब समेत 11 प्रदेशों से 2 लाख अभ्यर्थी मंगलवार को बरेली आईटीबीपी कैंप पहुंचे. जब उन्हें बताया कि आज भर्ती नहीं है, सिर्फ फार्म जमा होने हैं तो युवक भड़क गए. उन्होंने बसों को आग लगा दी. पेट्रोल पंप में तोड़-फोड़ की. उपद्रव से बरेली में अफरा-तफरी और भय के चलते बाजार बंद हो गए थे और लोग घरों में बंद हो गए थे. बाद में पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा

itpbबरेली में आईटीबीपी की परीक्षा से लौट रहे छात्र हिमगिरि एक्सप्रेस पर सवार हो गए. जहां भी जगह मिली छात्रों ने ट्रेन पर कब्जा जमा लिया. और जब ट्रेन में पांव रखने भर की भी जगह नहीं बची तो युवा छात्रों ने ट्रेन की छत पर कब्जा जमा लिया. नतीजन जब ट्रेन तिलहर स्टेशन से आगे बढ़ी तभी गर्रा पुल के समीप ट्रेन की छत पर सवार युवक ओवरब्रिज से टकरा गए. इसी दौरान हाईटेंशन विद्युत तार भी टूटकर ट्रेन पर जा गिरा. ओवरब्रिज से टकराने और करंट के झटके से कई युवक चलती ट्रेन से नीचे जा गिरे. कई युवक ट्रेन की छत पर बुरी तरह घायल हो गए. इन्हीं घायलों में से कई की मौके पर ही मौत हो गई. इनमें से कुछ की मौत तो करंट लगने से हुई तो कुछ की ब्रिज से टकराकर गिरने की वजह से.


पर सवाल यह है कि इस कांड में गलती किसकी है. बेरोजगार युवा रोजगार की तलाश में गए, लेकिन वहां उन्हें रोजगार की जगह सरकरी तंत्र की विफलता हाथ लगी. युवा का गुस्सा अपना आपा खो बैठा और उन्होंने प्रशासन और भर्ती अधिकारियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. लेकिन इन सब के बीच उनसे एक बहुत बड़ी भूल हो गई. जवानी के जोश में वह भूल गए कि ट्रेन की छत पर यात्रा करना बेहद खतरनाक होता है. वैसे युवाओं से तो भूल हुई पर क्या रेल प्रशासन को नजर नहीं आया कि छात्र छत पर बैठे हैं. प्रशासन, रेलवे और छात्रों की मिलीजुली गलतियों की वजह से आज कई घरों के चिराग बुझ गए. सरकार को ऐसे हादसों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए साथ ही युवाओं को भी अपनी सीमाओं का ख्याल रखना चाहिए. सरकारी संपदा को आग में फूंक देने से या रेलगाड़ी को जला देने से उन्हें नौकरी तो नहीं मिल सकती, पर हां इससे कईयों की नौकरी छिन जरुर सकती है.

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