सुनामी के बाद अब न्यूक्लियर रेडिएशन
भूकंप और सुनामी के बाद अब जापान को एक और त्रासदी झेलनी पड़ रही है. जापान के फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट के चौथे रिएक्टर में रेडिएशन इतना बढ़ गया कि वहां मरम्मत का काम रोक दिया गया और कर्मचारियों को हटा दिया गया.
जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव युकियो इदानो ने कहा कि इकाई संख्या तीन के आंतरिक कवच के संबंध में सूचना मिली है. उनके अनुसार, यह कवच क्षतिग्रस्त हो गया और इस बात की संभावना है कि इस क्षतिग्रस्त हिस्से से रेडियोधर्मी भाप निकल रही है. सुनामी के बाद न्यूक्लियर रेडिएशन ने न सिर्फ जापान बल्कि पूरे विश्व को दहशत में ला दिया है.
टोक्यो की तरफ हवा का रुख होने की वजह से खतरा है कि कहीं हवाओं के द्वारा रेडिएशन फुकुशिमा से होकर टोक्यो ना पहुंच जाए. फुकुशिमा से 250 किलोमीटर दूर टोक्यो के चीबा इलाके में विकिरण की मात्रा सामान्य से करीब 20 गुना अधिक मापी गई. सरकारी सूत्रों का कहना है कि यह रेडिएशन जानलेवा स्तर तक पहुंच गया है.
इन न्यूक्लियर विकिरणों ने दुनिया भर में न्यूक्लियर सेफ्टी के पैमाने की तरफ सबका ध्यान खींचा है. एक बार फिर उन प्राइवेट कंपनियों की तरफ भौंहें टेढ़ी हो गई हैं जो कहते हैं कि हमें न्यूक्लीयर पावर प्लांट लगाने का काम दे दो पर सुरक्षा के नाम पर उनके पास कोई जवाब नहीं होता.
क्या है पूरा किस्सा न्यूक्लियर रेडिएशन का
इस रेडिएशन के बाद जापान सरकार ने विश्व की अन्य संस्थानों से मदद की गुहार लगाई है. फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट का आंतरिक कवच डैमेज हो जाने की वजह से विकिरण की दर बढ़ गई थी. प्लांट को चलाने वाली कंपनी टेपको ने रिऐक्टरों के बढ़ते तापमान पर काबू पाने के लिए हेलिकॉप्टर की मदद से बडी मात्रा में पानी का छिड़काव करने की योजना बनाई है.
इस न्यूक्लियर रेडिएशन से भारी जानमाल के नुकसान होने की संभावना है. यहां तक की जापान के प्रधानमंत्री ने साफ शब्दों में कह दिया है कि भूकंप प्रभावित एटॉमिक रिएक्टरों के आसपास रेडियो सक्रियता खतरनाक स्तर तक बढ़ गई है और इससे एटॉमिक रेडिएशन के रिसाव की मात्रा में भी वृद्धि की आशंका है. फुकुशिमा में रेडिएशन का स्तर बढ़ गया है और ऐसे में बढ़ता रेडिएशन पूरे जापान को कैंसर का शिकार बनाने के लिए काफी बताया जा रहा है.
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