Menu
blogid : 314 postid : 822

विनाश के बवंडर में फंसता जापान

सुनामी के बाद अब न्यूक्लियर रेडिएशन


भूकंप और सुनामी के बाद अब जापान को एक और त्रासदी झेलनी पड़ रही है. जापान के फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट के चौथे रिएक्टर में रेडिएशन इतना बढ़ गया कि वहां मरम्मत का काम रोक दिया गया और कर्मचारियों को हटा दिया गया.


123जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव युकियो इदानो ने कहा कि इकाई संख्या तीन के आंतरिक कवच के संबंध में सूचना मिली है. उनके अनुसार, यह कवच क्षतिग्रस्त हो गया और इस बात की संभावना है कि इस क्षतिग्रस्त हिस्से से रेडियोधर्मी भाप निकल रही है. सुनामी के बाद न्यूक्लियर रेडिएशन ने न सिर्फ जापान बल्कि पूरे विश्व को दहशत में ला दिया है.


टोक्यो की तरफ हवा का रुख होने की वजह से खतरा है कि कहीं हवाओं के द्वारा रेडिएशन फुकुशिमा से होकर टोक्यो ना पहुंच जाए. फुकुशिमा से 250 किलोमीटर दूर टोक्यो के चीबा इलाके में विकिरण की मात्रा सामान्य से करीब 20 गुना अधिक मापी गई. सरकारी सूत्रों का कहना है कि यह रेडिएशन जानलेवा स्तर तक पहुंच गया है.


इन न्यूक्लियर विकिरणों ने दुनिया भर में न्यूक्लियर सेफ्टी के पैमाने की तरफ सबका ध्यान खींचा है. एक बार फिर उन प्राइवेट कंपनियों की तरफ भौंहें टेढ़ी हो गई हैं जो कहते हैं कि हमें न्यूक्लीयर पावर प्लांट लगाने का काम दे दो पर सुरक्षा के नाम पर उनके पास कोई जवाब नहीं होता.


nuclear_110311क्या है पूरा किस्सा न्यूक्लियर रेडिएशन का


  • फुकुशिमा परमाणु संयंत्र में छह रिएक्टर हैं. सूनामी और भूकंप के समय इनमें से तीन रिएक्टर चल रहे थे. जिस रिएक्टर में आग लगी है, वह भूकंप के समय बंद था.
  • सबसे पहले फुकुशिमा के रिएक्टर नंबर 1 में धमाका हुआ था, फिर फुकुशिमा दायिची प्लांट के रिएक्टर संख्या 2 में धमाका और फिर रिएक्टर नंबर तीन में.
  • 14 मार्च 2011 को फुकुशिमा दायिची परमाणु प्‍लांट के रिएक्टर संख्या 3 में हाइड्रोजन धमाके के साथ रिसाव शुरु हो गया था, जिससे चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई थी.
  • मंगलवार 15 मार्च 2011 को न्यूक्लियर रेडिएशन शुरु हो गया और हवा के साथ रेडिएशन टोक्यो तक पहुंच गया.
  • रेडिएशन में ज्यादातर सीजियम 137 और आयोडीन 121 की मात्रा हैं जो शरीर के लिए बेहद खतरनाक होते हैं.

इस रेडिएशन के बाद जापान सरकार ने विश्व की अन्य संस्थानों से मदद की गुहार लगाई है. फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट का आंतरिक कवच डैमेज हो जाने की वजह से विकिरण की दर बढ़ गई थी. प्लांट को चलाने वाली कंपनी टेपको ने रिऐक्टरों के बढ़ते तापमान पर काबू पाने के लिए हेलिकॉप्टर की मदद से बडी मात्रा में पानी का छिड़काव करने की योजना बनाई है.


इस न्यूक्लियर रेडिएशन से भारी जानमाल के नुकसान होने की संभावना है. यहां तक की जापान के प्रधानमंत्री ने साफ शब्दों में कह दिया है कि भूकंप प्रभावित एटॉमिक रिएक्टरों के आसपास रेडियो सक्रियता खतरनाक स्तर तक बढ़ गई है और इससे एटॉमिक रेडिएशन के रिसाव की मात्रा में भी वृद्धि की आशंका है. फुकुशिमा में रेडिएशन का स्तर बढ़ गया है और ऐसे में बढ़ता रेडिएशन पूरे जापान को कैंसर का शिकार बनाने के लिए काफी बताया जा रहा है.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh