Menu
blogid : 314 postid : 1390739

नरेश गोयल ने मां के जेवर बेचकर 10 हजार से की थी जेट एयरवेज की शुरुआत, ट्रैवल एजेंसी के नाम पर मजाक उड़ाते थे लोग

जेट एयरवेज फिलहाल आसमान में नहीं, जमीन में ही दिखाई देंगे।8000 करोड़ रुपये से अधिक के बोझ से जेट के सभी विमान पर जमीन पर ही रहेंगे। 400 करोड़ रुपये का इमर्जेंसी फंड जारी करने से इनकार के बाद कंपनी ने परिचालन को अस्थायी रूप से अस्थगित कर दिया है। ऐसे में जेट एयरवेज के कर्मचारियों के लिए यह खबर किसी त्रासदी से कम नहीं है. अब देखना यह है कि क्या कभी जेट फिर से आसमान से बातें कर पाएगा, या फिर किंगफिशर की तरह जेट भी एक इतिहास बनकर रह जाएगा। चलिए, जानते हैं कैसे हुई थी जेट एयरवेज की शुरुआत।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal19 Apr, 2019

 

 

मां के जेवर बेचकर 10 हजार रुपए से शुरू की ट्रैवल एजेंसी
जेट एयरवेज के चेयरमैन नरेश गोयल ने बेहद कठिन परिस्थिति में अपनी मां के जेवर बेचकर ट्रैवल एजेंसी शुरू की थी। नरेश गोयल ने 1967 में अपनी मां के एक चाचा की एजेंसी में कैशियर के रूप में काम शुरू किया था। तब उन्हें 300 रुपए सैलरी मिलती थी. यहां काम करते हुए रॉयल जॉर्डन एयरलाइंस जैसे कई बड़ी कंपनियों में काम करने का मौका मिला। ट्रैवल एजेंसी शुरू करने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। उन्होंने अपनी मां से बात की। मां ने अपने जेवर देकर कहा, इन्हें बेच दो। जेवर बेचने से उन्हें करीब 15 हजार रुपए मिले। उन्होंने 10 हजार रुपए से जेट एयर शुरू की और इस तरह 1974 को उन्होंने अपनी ट्रैवल एजेंसी शुरू की और उसका नाम जेट एयरवेज रखा।

 

 

ट्रैवल एजेंसी के नाम पर दोस्त उड़ाते थे मजाक
इस ट्रैवल एजेंसी का नाम जेट एयरवेज था, इस वजह से जब वह पेपर टिकट लेने एयरलाइन ऑफिस में जाया करते, तो वहां लोग उनका यह कहकर मजाक उड़ाते कि अपनी ट्रैवल एजेंसी का नाम एयरलाइन कंपनी जैसी रखी है। तब गोयल कहा करते कि एक दिन वह खुद की एयरलाइन कंपनी भी जरूर खोलेंगे।

 

1993 में जेट एयरवेज ने भरी पहली उड़ान
साल 1991 के बाद जेट एयरवेज के लिए रास्ता खुलना शुरू हुआ. जब भारत सरकार ने ओपन स्काई पॉलिसी को हरी झंडी दी और नरेश गोयल ने इस मौके का फायदा उठाया और डोमेस्टिक ऑपरेशन के लिए 1993 में जेट एयरवेज की शुरुआत की। कंपनी लगातार अपने काम को बढ़ाती रही और एक वक्त पर जब कंपनी अपने शीर्ष पर थी, तब नरेश गोयल देश के 20 सबसे अमीर शख्सियत में शुमार हुआ करते थे।

 

 

एयर सहारा की खरीद से शुरू हुआ संकट
जेट को विदेशों के लिए उड़ाने भरने वाली एकमात्र कंपनी बनाने के लिए गोयल ने 2007 में एयर सहारा को 1,450 करोड़ रुपये में खरीद लिया। गोयल ने कंपनी को जेटलाइट नाम दिया था। यही वह बेहद कीमती डील थी जिससे जेट कभी उबर नहीं पाई। आखिरकार कंपनी 20,000 करोड़ रुपये के कर्ज में डूब गई। तब से कंपनी को वित्तीय मुश्किलों से सही मायने में कभी छुटकारा नहीं मिल पाया।

 

नरेश गोयल का इस्तीफा
नरेश गोयल ने 25 मार्च को जेट के चेयरमैन और बोर्ड की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। साथ ही, पत्नी अनिता गोयल ने भी बोर्ड की सदस्यता छोड़ दी थी। जेट के 51% शेयर पहले की तरह गोयल के पास हैं और 24% हिस्सेदारी पार्टनर एतिहाद एयरवेज के पास। नरेश गोयल ने चेयरमैन और बोर्ड मेंबर का पद छोड़ने के बाद अपना 31.2 प्रतिशत शेयर बेचने का ऐलान किया था और कहा था कि वह बाकी बची हिस्सेदारी भी बेच देंगे।…Next

 

Read More :

संयुक्त राष्ट्र ने जैश आंतकी मौलाना मसूद अजहर पर बैन लगाया, तो क्या होगा उसपर असर

इन 7 लोगों को थी सर्जिकल स्ट्राइक 2 प्लान की खबर, पुलवामा अटैक के बाद शुरू कर दी थी तैयारी

पुलवामा हमले से जिंदा बचकर लौटा यह जवान, एक मोबाइल मैसेज ने बचाई जान

 

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh