इन दिनों जहां फर्जी डिग्री और राजनीति में कम पढ़ा-लिखे सांसदों पर आये दिन घमासान देखने को मिलता है वहां एक और नया मामला सामने आ रहा है जिसमें एक स्टूडेंट ने निराश और हताश होकर सरकार पर केस कर दिया. दरअसल, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने दिशा निर्देशों में बहुत से बदलाव किए हैंं. जिसके कारण अमेरिका में रिसर्च कर रहे एक स्कॉलर साइंटिस्ट को भारत वापस लौटना पड़ा. इस छात्र को वहां रहते हुए 3 साल भी नहीं हुए थे.
केंद्र सरकार ने ऑब्लिगेशन टू रिर्टन टू इंडिया सर्टिफिकेट जारी करने से इनकार कर दिया. डॉ सुनील नूथी नाम के इस छात्र ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. ये ऐसा पहला मामला है जब किसी मेडिकल छात्र ने केंद्र सरकार से जवाब तलब किया हो. सुनील नॉन इमिग्रेंट वीजा न मिलने से बेहद नाराज हैं. पूरे मामले की बात करें तो सुनील यूनिवर्सिटी ऑफ केंटकी के माइक्रोबायोलॉजी, इम्युनोलॉजी एंड मॉलीक्यूलर जनेटिक्स डिपार्टमेंट में 2013 से बायोमेडिकल रिसर्चर थे. अमेरिका के होमलैंड सिक्योरिटी विभाग को एनओआरआई सर्टिफिकेट चाहिए था जिसे केंद्र सरकार ने जारी करने से इनकार कर दिया.
इस बात से खुश होकर स्टूडेंट ने दी अपने टीचर को मर्सिडीज
उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने उन्हें जानकारी दी कि अगस्त 2011 सरकार ने एनओरआरआई सर्टिफिकेट जारी नहीं किया है. अब इसे केवल 65 साल या इससे अधिक उम्र के आवेदकों के लिए जारी किया जाता है. नूथी ने सरकार की इस दलील को आधारहीन बताया है. खास बात ये है कि वो अमेरिका में ब्लड कैंसर के ईलाज के लिए नई तकनीक पर रिसर्च कर रहे हैं. अमेरिका सरकार ने उन्हें इस प्रोजेक्ट के लिए 15 लाख डॉलर दे चुकी है…Next
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