कर्नाटक विधानसभा चुनाव (Karnataka Assembly elections) से पहले जिसका डर भारतीय जनता पार्टी को था आखिरकार वही होता दिख रहा है. राज्य की 224 सदस्यीय विधानसभा में से 223 सीटों के लिए हुए मतदान के बाद बुधवार सुबह से हो रही मतगणना के दौरान अब तक के रुझानों से यह साफ हो गया है कि जो बात नतीजे से पहले एक्जिट पोल में कही जा रही थी वह पूरी तरह से सच है. 2008 चुनाव के मुकाबले जहां कांग्रेस को बढ़त मिल रही है वहीं सत्ता पार्टी बीजेपी को भारी नुकासान उठाना पड़ रहा है.
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अब तक सभी 223 सीटों के रुझान सामने हैं, जिनमें से 100 का आंकड़ा पार कर कांग्रेस 106 सीटों पर, जेडीएस 41 सीटों पर जबकि भारी नुकसान के साथ बीजेपी 35 पर आगे चल रही है. वहीं भाजपा से अलग हुए कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की पार्टी केजेपी 11 सीटों पर आगे चल रही है.
इस नतीजे से साफ हो रहा है कि कांग्रेस करीब 10 साल बाद फिर से राज्य में सत्ता पर काबिज होने जा रही है. पूर्वानुमानों के मुताबिक, 224-सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस को 110 से 132 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया जबकि पूर्ण बहुमत के लिए 113 सीटों की जरूरत है.
कर्नाटक में कांग्रेस की बढ़त को देखते हुए यह साफ हो गया है कि राज्य की विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दे ही आगे रहे जिसका फायदा उठाकार कांग्रेस सत्ता की ओर अग्रसर हो रही है. चुनाव से पहले यह माना जा रहा था कि देशभर में भ्रष्टाचार के खिलाफ कांग्रेस विरोधी अभियान से बीजेपी को फायदा होगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. राज्य में बढ़ते भ्रष्टाचार और येदियुरप्पा के साथ छोड़ने से बीजेपी फिर से उसी स्थिति की ओर पहुंच गई है जैसी स्थिति 2008 से पहले थी यानि एक बार फिर दक्षिण भारत से बीजेपी का नामोनिशान मिट गया है.
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