Menu
blogid : 314 postid : 1196

तीसरा बच्चा खिलाएगा जेल की हवा

childschoolदेश में एक समय था जब आबादी को नियंत्रित करने के लिए लोगों को पकड़-पकड़ कर नसबंदी करवाया गया था और कई सरकारी कर्मचारियों ने अपना कोटा पूरा करने के लिए अविवाहितों की भी नसबंदी करवा डाली. खैर यह बात अब पुरानी हो गई. अब नया उपाय ढूंढ़ा गया है चीन की तर्ज पर कि अगर दो से तीसरा बच्चा हुआ तो पति को होगी जेल.


देश में इस समय आबादी दिन दोगुनी रात चौगुनी की रफ्तार से बढ़ रही है. लेकिन हमारे पास अतिरिक्त जनसंख्या को पालने के लिए पर्याप्त संसाधनों की कमी है और यह कमी ही बढ़ती मंहगाई का प्रमुख कारण है. देश के कई राज्यों में आज भी लोग चार-चार बच्चे पैदा करते हैं. कई बार तो लड़कियों की चाह में बच्चों की संख्या छह तक हो जाती है. लेकिन यह तथ्य सिर्फ गांवों के नहीं बल्कि शहरों के भी हैं. शहरों में भी आबादी नियंत्रित करने की जरूरत है.


अब केरल सरकार ने राज्य की आबादी नियंत्रित करने के लिए नया उपाय निकाला है. केरल में यदि किसी पति ने पत्नी को तीसरे बच्चे के लिए गर्भवती किया, तो उसे जेल की हवा खानी पड़ सकती है. केरल विमिंस कोड बिल 2011 में कुछ ऐसे ही प्रावधान हैं. राज्य सरकार इसे लागू करेगी या नहीं, यह बाद में तय होगा, लेकिन केरल महिला संहिता विधेयक 2011 में कुछ ऐसा ही प्रावधान किया गया है. इसे न्यायमूर्ति वीआर कृष्ण अय्यर की अध्यक्षता वाली 12 सदस्यीय कमेटी ने मुख्यमंत्री को सौंपी है.


कमीशन ऑन राइट्स एंड वेलफेयर ऑफ वुमेन एंड चिल्ड्रन के मुताबिक तीसरे बच्चे की संभावना के तहत पिता पर न्यूनतम दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा या तीन महीने की साधारण जेल होगी. साथ ही सरकारी सुविधाएं और फायदे अभिभावकों को नहीं दिए जाएंगे. हालांकि बच्चों को किसी प्रकार के अधिकार से वंचित नहीं रखा जाएगा. आयोग ने कहा है कि नया प्रस्ताव बच्चों के बेहतर लालन-पालन के लिए प्रभावी होगा.


आयोग ने 19 साल की उम्र में शादी करने और बीस वर्ष की उम्र में मां बनने वाली महिलाओं को प्रोत्साहन राशि के तौर पर पांच हजार रुपए देने का भी सुझाव दिया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी और निजी अस्पतालों में सुरक्षित गर्भपात मुफ्त किया जाना चाहिए.


और सबसे अच्छी बात तो यह है कि आयोग ने किसी को भी धर्म या राजनीति की आड़ में ‘जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम’ में छूट नहीं दी है. धर्म, क्षेत्र, जाति या किसी अन्य आधार पर किसी व्यक्ति को ज्यादा बच्चे रखने का अधिकार नहीं है.


हालांकि इस बिल में जुड़वा बच्चों या एक साथ होने वाले बच्चों के ऊपर कोई बात नहीं कहीं गई है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह सही है. मान लीजिए एक दंपति की पहली लड़की हुई, दूसरा बच्चा किसी कारणवश विकलांग हुआ तो क्या इस हालात में भी उन्हें तीसरा बच्चा जेल की कीमत पर मिलेगा.


सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रभावी कदम उठाना चाहती है जो बहुत अच्छी बात है पर आखिर क्यूं सरकारी आयोग बार-बार कुछ विशेष बिंदुओं को छोड़कर अपने किए कराए पर पानी फेर देते हैं. अभी हाल ही में योजना आयोग ने गरीबी की हास्यास्पद परिभाषा गढ़ी, उसके बाद केरल के इस नए बिल के नए फंडों ने सबको उलझन में डाल दिया है.


भारतीय समाज आज आधुनिक हो चुका है लेकिन फिर भी समाज में बेटे और बेटियों को लेकर लोगों में भिन्न मानसिकता पाई जाती है. हम बेटियों को अपना तो लेते हैं लेकिन मन के किसी कोने में यह भी आस होती है कि काश एक बेटा होता. आयोग को समाज की मानसिकता का भी ख्याल रखना चाहिए. हालांकि यह कदम बहुत ही प्रशंसनीय भी है क्यूंकि ऐसा करने से वाकई आबादी नियंत्रण का सपना सच हो सकता है, बशर्ते कुछ विशेष स्थितियों में दंपतियों को छूट मिले.


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh