इन दिनों देश में असम का एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन’ का मामला सुर्खियों में है। हाल ही में असम में ‘नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन’ जारी कर दिया गया है। कुल 3.29 करोड़ आवेदन में 2.89 करोड़ लोगों के नाम नेशनल रजिस्टर में शामिल किए जाने के योग्य पाए गए जबकि 40 लाख लोगों का नाम ड्राफ्ट में नहीं है। हालांकि, यह फाइनल लिस्ट नहीं है बल्कि ड्राफ्ट है। जिनका नाम इसमें शामिल नहीं है वह इसके लिए दावा कर सकते हैं। इसको लेकर राज्य में तनाव का माहौल बरकरार है। लेकिन ड्राफ्ट में 40 लाख लोगों का नाम शामिल न होने की वजह से मामला गर्माता हुआ दिख रहा है।
पहली बार 1951 में बना था ‘एनआरसी’ रजिस्टर
1951 में हुई जनगणना के बाद पहला एनआरसी रजिस्टर बना था। इसमें हर गांव में रहने वाले लोगों के नाम और उनकी संख्या, घर, संपत्तियां आदि का विवरण था।
क्या है ‘नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन’ और अवैध नागरिकों का मामला
1947 में बंटवारे के समय कुछ लोग असम से पूर्वी पाकिस्तान चले गए, लेकिन उनकी ज़मीन-जायदाद असम में थी और लोगों का दोनों और से आना-जाना बंटवारे के बाद भी जारी रहा। इसमें 1950 में हुए नेहरू-लियाक़त पैक्ट की भी भूमिका थी। इस पैक्ट में अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा की बात की गई थी। इसके बाद 1971 में बांग्लादेश का निर्माण होने के बाद भी असम में गैरकानूनी रूप से घुसपैठ भी हुई, धीरे-धीरे 5-6 सालों में ही असम की आबादी का चेहरा बदलने लगा और असम में विदेशियों का मामला उठने लगा।
इन्हीं हालातों के चलते में साल 1979 से 1985 के दरम्यान छह सालों तक असम में एक आंदोलन चला। सवाल ये पैदा हुआ कि कौन विदेशी है और कौन नहीं, ये कैसे तय किया जाए? विदेशियों के खिलाफ मुहिम में ये विवाद की एक बड़ी वजह थी। साल 2005 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समय साल 1951 के नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन को अपडेट करने का फैसला किया गया इसमें तय हुआ कि असम समझौते के तहत 25 मार्च 1971 से पहले असम में अवैध तरीके से भी दाखिल हो गए लोगों का नाम नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजनशिप में जोड़ा जाएगा।
पहली लिस्ट में 1.9 करोड़ वैध नागरिक
पहली लिस्ट में 1.9 करोड़ लोगों को वैध नागरिक के रूप में मान्यता दी गई है, लेकिन बाकी 1.39 करोड़ का नाम इस लिस्ट में नहीं आया। हालांकि, सरकार ने कहा कि यह पहली लिस्ट है और दूसरी लिस्ट भी जल्द जारी की जाएगी। इस बीच किसी भी तरह के हालात के निपटने की तैयारी कर ली गई है।
फिर से दर्ज करा सकते हैं नाम
एनआरसी के स्टेट को ऑर्डिनेटर हाजेला ने कहा ‘अगर वास्तविक नागरिकों के नाम दस्तावेज में मौजूद नहीं हों तो वे घबरायें नहीं। बल्कि उन्हें संबंधित सेवा केन्द्रों में जाकर फिर से आवेदन कर सकते हैं। ये फॉर्म 7 अगस्त से 28 सितंबर के बीच उपलब्ध होंगे और अधिकारियों को उन्हें इसका कारण बताना होगा कि ड्राफ्ट में उनके नाम क्यों छूटे’।
फाइनल लिस्ट में शामिल न होने वाले नामों का क्या किया जाए?
ऐसे में सवाल उठता है कि अंतिम ड्राफ्ट आने के बाद जिनका नाम एनआरसी में नहीं आता है उनका भविष्य क्या होगा? क्या उन्हें बांग्लोदश भेज दिया जाएगा? फिलहाल अभी इस बारे में जानकारी नहीं होने की वजह से कुछ भी पुख्ता तौर पर कहना मुश्किल है…Next
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