पिछले दो चुनाव में भाजपा के साथ कुछ ऐसा हो रहा है जिसकी उम्मीद बड़े-बड़े ज्योतिषी और राजनीतिज्ञ भी नहीं कर पा रहे हैं. चुनाव में विश्वास से लबालब भरे होने के बावजूद बीजेपी और उनके लाव-लश्कर परिणाम आते ही धराशाही हो जाते हैं.
बीजेपी के राजनेता और कार्यकर्ता तथा चेला-चपाटी नतीजे से पहले पूरे ओवरकॉफिडेंस के साथ अपनी जीत में ताल ठोकते हैं तथा अपनी जीत को पुख्ता करने के लिए मिठाईयों और पटाके का रेला लगा देते हैं, लेकिन जब परिणाम आता है तो वे ऐसे सुन्न पड़ जाते हैं जैसे किसी ने उनके कान के पास सुतली बम वाले पटाखे फोड़ दिये हो.
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पिछले दो चुनाव से ऐसा ही हो रहा है, जब भाजपा को पूरी उम्मीद होती है कि उनकी पार्टी को भारी बहुमत से जीत मिलेगी. लेकिन जब परिणाम आता है तो भारी बहुमत से जीत तो दूर गिनती के कुछ ही सीटें ही हासिल कर पाते हैं.
पिछले रविवार को जब बिहार चुनाव के नतीजे सबके सामने लाए गए तो उससे पहले जीत के विश्वास से लबालब बीजेपी के कार्यकर्ता कई किलो लड्डू और छोटे-बड़े पटाकों का ऑर्डर दे चुके थे. शुरुआती नतीजों को देखकर ऐसा लगा कि भाजपा दिल्ली को हारने के बाद बिहार में जीत हासिल लिया है. लेकिन उन्हें पता नहीं था कि यह भूकंप आने से पहले की खुशी है जो वह समझ नहीं पा रहे थे.
खैर जैसे-जैसे नतीजे आते रहे और यह साफ होता गया कि दूसरी बार मोदी की लहर काम नहीं आई भाजपा के कार्तकर्ताओं ने मिठाईयों और पटाके के सारे ऑर्डर कैंसिल कर दिए. वैसे इस तरह का हाल दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिला...next
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