वीकेंड के मौके पर सिनेमा घरों में फिल्में तो आप बहुत देखते होंगे लेकिन चुनावी मौसम में ऐसी फिल्में आपको हर रोज देखने को मिलती हैं. एक सीरियल के एपिसोड की तरह चला इस बार का लोकसभा चुनाव काफी फिल्मी था, जहां हीरो भी थे, विलन भी थे. यहीं नहीं इस फिल्म में गुस्सा भी था, इमोशन भी था और कहीं न कहीं प्यार भी छुपा था. दिलचस्प बात यह थी कि इस फिल्म में हर पार्टी का बड़ा नेता उसके कार्यकर्ताओं के लिए हीरो था, तो विरोधी पार्टियों के लिए वही हीरो, विलन की भूमिका निभाता था.
फिल्म की शुरुआत नेताओं के “मैं तेरा खून पी जाऊंगा” के तर्ज पर दिए गए बयान से शुरू होता है. सहारनपुर से कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी इमरान मसूद ने एक रैली में कहा है कि वो बीजेपी के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के टुकड़े टुकड़े कर देंगे. आखों में अंगारे लिए मसूद का यह बयान भला बीजेपी नेताओं को कैसे पचत, आखिरकार उनके प्रिय नेता मोदी पर हमला बोला गया था. इस बयान के बाद बीजेपी नेताओं ने भी मोर्चा संभाल लिया. एक तरफ जहां बड़े नेताओं ने चुनाव आयोग से इसकी शिकायत की तो दूसरी तरफ बीजेपी के छुटभैये नेताओं ने मसूद के बयान पर पलटवार करना शुरु कर दिया.
वैसे मसूद ही एकमात्र ऐसे नेता नहीं है जिन्होंने मोदी को अपने गुस्से भरे शब्द से शिकार बनाया. उन्हें शिकार बनाने वालो में लगभग सभी पार्टी के नेता शामिल थे. जिसमें समाजवादी पार्टी के आजम खान, मुलायम सिंह, कांग्रेस के बेनी प्रसाद, आरएलडी के अजित सिंह आदि शामिल थे. इन्हीं नेताओं में से कोई उन्हें हिटलर कहता, तो कोई मैं-मैं करने वाला बकरा. बेनी प्रसाद ने तो उन्हें कई नामों से संबोधित किया जिसमें राक्षस और जानवर से लेकर गुंडा तक शामिल हैं. मोदी को लेकर विरोधी पार्टियों में इतना गुस्सा है कि जो लोग उन्हें वोट देने की बात कहते थे वे उन्हें समंदर में डूब जाने की सलाह देते थे. नेशनल कॉन्फ्रेंस के सुप्रीमो फारूक अब्दुल्ला श्रीनगर में कहा कि नरेंद्र मोदी को वोट देने वालों को समंदर में डूब जाना चाहिए.
अब जहां मोदी जैसे प्रसिद्ध नेता पर हर तरफ से हमले हो वहां स्वयं मोदी और उनके नेता कैसे चुप रहते. उन्होंने लगातार शाब्दिक हमले करने शुरू कर दिये. मोदी पर अपना प्यार छिड़कते हुए भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने तो मोदी विरोधियों को पाकिस्तान भेजे जाने की धमकी दे ड़ाली.
यह तो फिल्म का एक भाग था. फिल्म के दूसरे भाग में प्यार, इमोशन, आंसू आदि सभी चीजें है. इसी फिल्म में पहली बार नरेंद्र मोदी अपने पुराने प्यार को याद करते जिम्मेदारी के साथ नामांकन पत्र में पत्नी जसोदा बेन का नाम भरा. नामांकन पत्र में मोदी ने अपनी पत्नी का नाम क्या भरा विरोधी पार्टियों के लिए एक मुद्दा मिल गया. उन्होंने मोदी के जरिए भाजपा को घेरने की कोशिश की इसमें दिग्विजय सिंह जैसे बड़े नेता सबसे आगे रहे. लेकिन वो कहते हैं न, दूसरो के लिए गड्ढा खोदने वाला खुद भी उसी गड्ढे में गिर जाता है. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने जिस तरह से मोदी के पुराने प्यार को बाहर लाने की कोशिश कर रहे थे लोगों को दिग्विजय के नए प्यार के बारे मालूम चल गया. पत्नी के मरे हुए एक साल भी नहीं हुआ कि दिग्विजय खुद पर कंट्रोल में नहीं रख पाए और एक टीवी एंकर से इश्क लड़ाते हुए पकड़े गए.
इस फिल्म में जहां एक तरफ पत्नी और प्रेमिका का प्यार था तो वहीं दूसरी तरफ बेटी के पिता के प्रति इमोशन थे. नरेद्र मोदी ने प्रियंका को “बेटी” क्या कहा प्रियंका आग बबूला हो गईं. प्रियंका ने एक सख्त संदेश देते हुए कहा, ”मैं राजीव गांधी की बेटी हूं”. प्रियंका ने कहा, “मेरे पिता इस देश के लिए बीस साल पहले मर गए, मैं उन्हें दुनिया में सबसे ज्यादा चाहती थी. किसी भी शख्स के साथ उनकी तुलना नहीं की जा सकती है.
इन सब के बीच एक नेता और भी हैं जिसके ऊपर जनता इतना प्यार बरसा रही है कि खुशी के मारे उसका मूंह सूज जाता है. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर कौन है वह नेता. अरे भाई दिल्ली की सत्ता छोड़ भाग खड़े होने वाले हमारे नेता अरविंद केजरीवाल. इसी चुनावी फिल्म में एक तरफ जहां नेताओं के भड़काऊ भाषण, प्यार और दुलार नहीं रुक रहे थे वहीं दूसरी तरफ केजरी भाई पर बरसने वाले थप्पड़ नहीं थम रहे थे. हर कोई उन्हें लतियाने पर उतारु रहता था. आज चुनाव खत्म हो चुका है लेकिन यह यकीन के साथ कोई नहीं कह सकता कि केजरी को आगे नहीं लतियाया जाएगा.
गुस्सा, इमोशन प्यार और तकरार के साथ चुनावी फिल्म समाप्त हो चुकी है लेकिन अभी क्लाइमेक्स बाकी है जहां 16 मई को पता चलेगा कि दर्शकों को यह फिल्म कैसी लगी.
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