17वीं लोकसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। देश में 11 अप्रैल से शुरु होने वाला चुनावी समर एक महीने से अधिक समय तक चलेगा। जिसमें जनता किसे चुनेगी यह बात तो 23 मई को ही पता चलेगी। ऐसे में चुनाव घोषित होते ही आचार संहिता भी लागू हो चुकी हैं, जिसके बाद राजनीतिक पार्टियों को उसी के दायरे में रहकर काम करना होगा। निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए हर बार की तरह इस बार भी कई व्यवस्थाएं की गई है। वहीं, सोशल मीडिया के इस दौर में चुनाव को किसी बाहरी तत्व से प्रभावित होने से बचाने के लिए कई नियम पहली बार लागू किए गए हैं। आइए, जानते हैं कौन से हैं वो नियम।
सोशल मीडिया को ध्यान में रखकर बनाए गए नियम
चुनाव आयोग ने चुनाव अभियान में सोशल मीडिया के बढ़ते इस्तेमाल के मद्देनजर चुनाव के दौरान इसके दुरुपयोग से फर्जी खबरों और गलत जानकारियों के प्रसार एवं छद्म प्रचार को रोकने के लिये आगामी लोकसभा चुनाव में सख्त प्रावधान किए हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बताया कि इस चुनाव में हिस्सा लेने वाले सभी उम्मीदवारों को अपने सोशल मीडिया अकांउट की जानकारी आयोग को देनी होगी। चुनाव में सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के लिये आयोग ने लोकसभा चुनाव में पहली बार यह पहल की है। इससे पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी यह व्यवस्था की गयी थी।
आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी
चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों के लिए अपने आपराधिक रिकॉर्ड को कम से कम तीन बार अखबार तथा टीवी पर विज्ञापित करना अनिवार्य किया है। इस संबंध में निर्देश 10 अक्टूबर 2018 को जारी किए गए थे, लेकिन 11 अप्रैल से 19 मई तक होने वाले इस लोकसभा चुनाव में पहली बार इस नियम का इस्तेमाल किया जाएगा। निर्देशों के अनुसार, राजनीतिक दलों को भी अपने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड का विज्ञापन देना होगा। इसका मतलब है कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों और पार्टियों को प्रचार अवधि के दौरान व्यापक रूप से प्रसारित समाचार पत्रों तथा लोकप्रिय टीवी चैनलों में कम से कम तीन अलग-अलग तारीखों पर अपने आपराधिक रिकॉर्ड को सार्वजनिक करना होगा। जिन उम्मीदवारों का आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, उन्हें इस बात का उल्लेख करना होगा।
एप से रखी जाएगी नजर
चुनाव आयोग ने बताया कि शुचिता बरकरार रखने में जनता की भागीदारी को भी सुनिश्चित करने के लिए पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर मोबाइल ऐप ‘सी-विजल’ का इस्तेमाल किया जायेगा। इसके जरिए कोई भी नागरिक निर्वाचन नियमों के उल्लंघन की शिकायत कर सकेगा। इस पर संबद्ध प्राधिकारी को 100 मिनट के भीतर कार्रवाई करना अनिवार्य है। इससे पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में इस ऐप का सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया था।
बैलट पेपर पर होगी उम्मीदवारों की फोटो
चुनाव आयोग ने कहा कि ईवीएम और पोस्टल बैलट पेपरों पर सभी उम्मीदवारों की तस्वीरें होंगी ताकि वोटर चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे नेताओं की पहचान कर सकें। आयोग ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की बैलट इकाइयों और पोस्टल बैलट पेपरों पर तस्वीरें छपी होंगी। इसके लिए उम्मीदवारों को आयोग की ओर से निर्धारित शर्तों पर अमल करते हुए निर्वाचन अधिकारी के पास अपनी हालिया स्टैंन साइज तस्वीर देनी होगी।…Next
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