अन्ना हजारे का अनशन पार्ट 2 बुरी तरह फेल हो गया. जो जज्बा और समर्थन अन्ना हजारे को दिल्ली में मिला था उसका आधा भी मुंबई की जनता उन्हें नहीं दे पाई. शायद सर्द मौसम की मार और मुंबई की भागती-दौड़ती जिंदगी ने अन्ना को अनशन बीच में ही तोड़ने को विवश कर दिया.
इसे दो कदम पीछे हट कर हमले की रणनीति कहें या गिरती सेहत की चिंता या फिर संसद में पहली बाधा पार कर चुके लोकपाल का असर, लेकिन अन्ना हजारे ने अपना अनशन एक दिन पहले ही खत्म कर दिया.
अन्ना ने माना कि संसद पर दबाव बनाने की उनकी यह रणनीति नहीं चली. अब सरकार को सबक सिखाने के लिए चुनाव में उसके खिलाफ दोगुना जोर लगाएंगे. अन्ना ने ना सिर्फ अपना अनशन खत्म किया बल्कि उन्होंने दिल्ली में जेल भरो आंदोलन भी वापस ले लिया. कुल मिला-जुलाकर देखा जाए तो अन्ना का दुबारा कांग्रेस पर हावी होने का इरादा फेल हो गया.
क्यों पीछे हटाए कदम
लेकिन अब अन्ना और उनकी टीम की नजर उन राज्यों पर है जहां जल्द ही चुनाव होने वाले हैं. पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए अन्ना ने अपनी कमर कस ली है. वह वहां जाकर लोगों से ऐसे लोगों को वोट ना देने की अपील करेंगे जो भ्रष्ट हैं या जो जनता की नहीं सुनते. साफ है अगर अन्ना ऐसा करते हैं तो सरकार को लोकपाल से भी ज्यादा नुकसान होगा.
वहीं दूसरी तरह लोकपाल को कांग्रेस ने लोकसभा में तो पारित करवा लिया पर राज्यसभा में उसे पास करवाना कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर साबित हुआ. अन्ना के आंदोलन से लोकपाल विधेयक ने संसद में पहली बाधा तो पार कर ली लेकिन राज्यसभा में सरकार के पास पर्याप्त बहुमत न होने के कारण उसने इस पर वोटिंग ही नहीं करवाई. विपक्षी दलों के बाद तृणमूल कांग्रेस के भी विरोध में उठ खड़े होने से लोकपाल विधेयक खटाई में पड़ गया.
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