लोकसभा चुनाव 2019 से पहले पार्टियां अपने चुनाव प्रचार में लगी हुई हैं। वहीं, 11 अप्रैल को पहले चरण का चुनाव हुआ है। लोगों को एक वोट की कीमत समझाने के उद्देश्य से कई कैम्पेन चलाए जा रहे हैं। ऐसे में कई लोगों का मानना होता है कि उन्हें अपने यहां का कोई उम्मीदवार पसंद नहीं है, इसलिए वो वोटिंग नहीं करना चाहते। जबकि अगर आपको ऐसा लगता है कि कोई भी उम्मीदवार वोट पाने के लायक नहीं है, तब भी आपको ‘नोटा’ का बटन दबाकर अपना वोट जरूर देना चाहिए। बहरहाल, देश में एक बूथ ऐसा भी रहा, जहां कोई वोटिंग करने नहीं आया। यह बूथ देश के दक्षिणी हिस्से में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के सबसे अंतिम छोर पर बसे शोम्पेन हट में है। यहां के घने जंगलों में पाषाण काल से बसी जनजाति रहती है।
2014 में दो सदस्यों ने डाले थे वोट
ग्रेट निकोबार द्वीप समूह के बिल्कुल दक्षिणी सिरे इंदिरा पॉइंट से 20 किलोमीटर की दूरी पर बसा हुआ है। 2014 में हुए चुनावों में आदिवासी शोम्पेन जनजाति के दो सदस्यों ने यहां वोट डाला था, जो कि इतिहास में पहली बार हुआ था। अंडमान और निकोबार के मुख्य चुनाव अधिकारी केआर मीणा के अनुसार, ‘शोम्पेन हट में दो चुनावी बूथ हैं, जिसमें से एक में 66 तो दूसरे में 22 वोटर्स हैं। हमारी पोलिंग पार्टी वहां मतदान के लिए गई हुई थी। हालांकि इस साल वहां एक भी वोट नहीं पड़ा।
15 दिनों में एक बार राशन लेने आते हैं लोग
इसके अलावा उन्होंने बताया घने जंगलों में बसे आदिवासी हफ्ते में या 15 दिनों में बाहर निकलकर शोम्पेन हट में राशन लेने आते हैं। स्थानीय अधिकारी कपड़े पर गांठ बांध कर यह सूचना देते रहे कि चुनाव में कितने दिन अभी बचे हुए हैं। आदिवासियों के लिए इसी तरह की सांकेतिक भाषा का इस्तेमाल होता है। लेकिन कोई भी वोट देने नहीं आया। शायद वे वोट देने के लिए आना ही नहीं चाहते हों।…Next
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