धरती पर हर क्षण अनगिनत लोग प्रेम में गिरते हैं. हर पीढ़ी में अनगिनत लोग प्रेम में अपना जीवन बिताते हैं लेकिन हर किसी के प्रेम का किस्सा प्रेमकहानी नहीं बन पाता. कम से कम इतिहास तो उन्हीं प्रेम कहानियों को याद रखता है जिसके पात्र राजा-महराजा, शक्ति संपन्न या विजेता रहे हों. आज हम भारतीय इतिहास के ऐसे ही कुछ प्रेम कहानियों के बारे में बताएंगे जो किंवदंती बन गई है.
1.अनारकली और सलीम-
इस प्रेम कहानी को फिल्म मुगल-ए-आजम ने अमर कर दिया. यह कहानी है मुगल राजकुमार सलीम और नृत्यांगना अनारकली की. सलीम के पिता शहंशाह अकबर को इस प्रेम कहानी से आपत्ति थी. इसे लेकर बादशाह अकबर और सहजादे सलीम में युद्ध हुआ. सलीम की सेना अकबर की सेना के सामने टिक नहीं पाई. सलीम को बचाने के लिए अनारकली ने अपने आप को न्यौछावर कर दिया. अनारकली को जीवित ही दीवार में चुनवा दिया गया.
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2. पृथ्वीराज चौहान और संयुक्ता-
यह भारतीय इतिहास की महानतम प्रेम कहानियों में से एक है. राजा पृथ्वीराज चौहान संयुक्ता के प्रेम में थे. संयुक्ता उनके शत्रु कन्नौज के राजा जयचंद की बेटी थी. पृथ्वीराज को अपमानित करने के लिए जयचंद ने संयुक्ता का स्वंयवर बुलाया. यहां सभी राजा और युवराजों को बुलाया गया किंतु पृथ्वीराज चौहान को नहीं बुलाया गया. बजाए इसके पृथ्वीराज की मिट्टी की मूर्ति को दरवाजे पर दरबान के तौर पर खड़ा कर दिया गया. हालांकि संयुक्ता ने सभी राजाओं को नकार कर उस मूर्ति में ही जयमाल डाला. पृथ्वीराज उस मूर्ति के पीछे ही छुपे हुए थे. संयुक्ता पृथ्वीराज चौहान के साथ भाग गईं. जब पृथ्वीराज चौहान के मोहम्मद गौरी से हार जाने के बाद संयुक्ता ने जौहर के प्रथा के तहत अपनी जान ले ली.
3. नूरजहां और जहांगीर-
नूरजहां के बचपन का नाम मेहर-उन-निशा था. नूरजहां मुगल बादशाह जहांगीर की 12वीं और सबसे पसंदीदा बीवी थी. जहांगीर नूरजहां के इश्क में इस कदर दीवाने थे कि उन्होंने नूरजहां को पाने के लिए उनके पति का कत्ल कर दिया. जहांगीर के इस कृत्य से निराश नूरजहां ने 6 साल तक जहांगीर से दूर रहीं. आखिरकार उन्होंने अपने प्रति जहांगीर के प्रेम को स्वीकार किया और उनसे शादी के लिए राजी हुईं.
4.बप्पादित्य और सोलंकी राजकुमारी
मशहूर राजपूत राजा बप्पादित्य, भील आदिवासियों के साथ पले बढ़े. एक बार वे पड़ोस के सोलंकी राज्य के राजकुमारी से मिले जो पूरे चांद की रात में अपनी सहेलियों के साथ जंगल में झूला झूल रही थी. उस रात उन दोनों ने राधा और कृष्ण का अभिनय किया और शादी का नकली उत्सव भी मनाया. बप्पादित्य ने बाद में कई राजकुमारियों के साथ विवाह किया लेकिन ऐसा कहा जाता है कि वे हमेशा सोलंकी राजकुमारी के प्रेम में रहे.
5. शाहजहां और मुमताज
अर्जुमंद बानो बेगम मुगल बादशाह शाहजहां की दूसरी पत्नी थी. क्योंकि वे बादशाह की सबसे प्रिय पत्नी थी, बादशाह ने उनका नाम ‘मुमताज महल’ रख दिया. इसका अर्थ है राजमहल का गहना. मुमताज से शाहजहां के 14 बच्चे हुए. 14वें बच्चे को जन्म देते समय मुमताज की मृत्यु हो गई. शोक से ग्रस्त शाहजहां ने मुमताज के विश्राम के लिए आखिरी स्थल बनवाया. इस इमारत को हम शाहजहां और मुमताज की प्रेम की निशानी ताजमहल के रूप में जानते हैं. आज भी यह विश्व के सात अजूबों में से एक बना हुआ है.
6.शिवाजी और साईबाई
यह प्रेम कहानी आम प्रेम कहानियों से कुछ अलग थी. इसमें समय के साथ प्रेम प्रगाढ़ होता गया. मराठा साम्राज्य के संस्थापक शिवाजी का विवाह बेहद कम आयु में निंबालकर कुल की साईबाई से हो गई थी. क्योंकि शिवाजी युद्धों में व्यस्त रहते, इस प्रेम कहानी को आगे बढ़ने में काफी वक्त लगा. साईबाई से शिवाजी के 4 बच्चे हुए. कहा जाता है कि साईबाई शिवाजी की पसंदीदा पत्नी थी. यह भी कहा जाता है कि मृत्यु शैय्या पर लेटे शिवाजी का आखिरी शब्द साई था.
7.बाजीराव और मस्तानी
पेशवा बाजी राव क्षत्रपति शाहूजी के सेनापति थे. बाजीराव मस्तानी नाम की एक औरत के प्यार में पड़ गए जिसके वंश का कोई पता नहीं था. इस वजह से बाजीराव के परिवार ने उनके एक होने पर आपत्ति जताई लेकिन इसके बावजूद बाजीराव ने मस्तानी से शादी की. एक युद्ध में बाजीराव की मृत्यु हो गई जिसके बाद मस्तानी ने आत्महत्या कर ली.
8. कुली कुतुब शाह और भागमती-
जब शहजादे मुहम्मद कुली कुतुब शाह जवां थे तब एक गांव से गुजरते हुए नदी के दूसरे किनारे एक बेहद रूपवान स्त्री को देखा जिसका नाम भागमती था. शहजादे के ऊपर भागमती का इस कदर जादू चला कि वे हर परेशानी को सहकर बस भागमती से विवाह को लेकर बेचैन हो गए. भागमती राज परिवार से नहीं थी. साथ ही वह हिंदू भी थी. शाह के परिवार को भागमती स्वीकार नहीं थी लेकिन उन्होंने अंतत: भागमती से विवाह किया. शाह ने भागमती के नाम पर उनके गांव के आसपास एक शहर की स्थापना की जिसे हम हैदराबाद के नाम से जानते हैं. ज्ञात हो कि विवाह के बाद शाह ने भागमती का नाम हैदर महल रखा था.
9.मुमल और महेंद्र
यह कहानी है सुंदर राजपुत लड़की मुमल और उमर कोट (अब पाकिस्तान में) के राणा महेंद्र की. एक बार शिकार करते समय राणा महेंद्र मुमल के महल के पास शिकार करने आए हुए थे और मुमल को देख उनपर मंत्रमुग्ध हो गए. धीरे-धीरे उनका प्रेम परवान चढ़ा. महेंद्र एक तेज रफ्तार वाले ऊंट पर सवार होकर रोज रात में जैसलमेर जाते और सुबह उमर कोट लौट आते. जब महेंद्र के परिवार को इसका पता चला तो उन्होंने ऊंट की टांग तोड़ दी. लेकिन महेंद्र को वे फिर भी न रोक पाए. महेंद्र ने दूसरा ऊंट लिया और जैसलमेर के लिए निकल पड़े. परंतु वे गलती से जैसलमेर की बजाए बाड़मेर पहुंच गए. जब उन्हें अपनी गलती का पता चला तो वे वापस जैसलमेर की ओर चल पड़े.
इस दौरान मुमल, महेंद्र की प्रतिक्षा करती रही. मुमल का दिल बहलाने के लिए उसकी बहन ने आदमी की तरह वेश धरकर उनके साथ बिस्तर पर लेटी रही. जब महेंद्र महल में आए तो मुमल के साथ किसी आदमी को लेटा देख बेहद निराश हो गए. वे बिन कुछ कहे अपनी बेंत की लकड़ी छोड़कर वहां से चले गए. मुमल ने खूब मनौती की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. अंतत: कुख को निर्दोष साबित करने के लिए वह आग लगाकर उसमें कूद गईं. जब महेंद्र को इस बात का पता चला तो वे भागे-भागे मुमल के महल पहुंचे लेकिन तबतक मुमल आग की लपटों में घिर चुकीं थी. मुमल के साथ हमेशा रहने के लिए महेंद्र भी उस आग में कूद गए. Next…
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