देश में घोटाले को लेकर हर दिन एक नए खुलासे के बाद जनता के सामने एक और नया घोटाला आया है. इस बार का घोटाला गरीब और भुखमरी के शिकार बच्चों से जुड़ा हुआ है. यह वह बच्चे हैं जो सारी जिंदगी कुपोषण से लड़ते हैं. दरअसल महाराष्ट्र में आईसीडीएस (समन्वित बाल विकास योजना) कार्यक्रम के तहत गरीब बच्चों को दिए जाने वाले अनाज में बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ है. यह घोटाला करीब एक हजार करोड़ रुपये का है. इससे पहले महाराष्ट्र ने आदर्श, सिंचाई, टोल टैक्स घोटालों जैसे बड़े घोटाले भी देखे.
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यह घोटाला उस समय सामने आया जब खाद्य सुरक्षा पर चल रही सरकारी योजनाओं की निगरानी के लिए नियुक्त सुप्रीम कोर्ट के कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट दी. रिपोर्ट के मुताबिक इस योजना को चलाने के लिए कई निजी कंपनियों ने फर्जी महिला मंडल बना कर 1000 करोड़ की बाल विकास योजना पर कब्जा कर लिया. इन महिला मंडलों का नाम है वेंकटेश्वरा महिला औद्योगिक सहकारी संस्था, महालक्ष्मी महिला ग्रामोद्योग और महाराष्ट्र महिला सहकारी गृह उद्योग संस्था. इसके अलावा इस मामले में जिन पांच निजी कंपनियों का नाम आया है, वे हैं स्वप्निल एग्रो, पारस एग्रो, इडो अलाइड प्रोटीन फूड, साई फूड एंड साई फूड प्रोडक्ट्स और कोटा दाल मिल.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने आईसीडीएस यानि बाल विकास योजना में निजी ठेकेदारों को ठेका देने से रोक लगा दी थी. लेकिन इस आदेश के बाद भी महाराष्ट्र सरकार ने 2009 में नियम बदल कर सामुदायिक संगठनों और महिला संस्थानों को ठेका लेने की इजाजत दे दी. इस नियम के मुताबिक अगर किसी कंपनी के बोर्ड में महिला सदस्य हो तो उसे यह ठेका मिल सकता है. इसी का फायदा उठाकर कंपनियों ने फर्जी तरीके से महिला मंडल बनाए और गरीबों को बेहद ही खराब क्वालिटी के राशन परोसे. इनकी क्वालिटी इतनी खराब होती थी कि जानवरों तक को नहीं खिलाया जा सकता है.
अव सवाल राज्य सरकार पर उठता है कि उन्होंने इतने लचर नियम क्यों बनाए. इस तरह से पता चलता है कि गरीब लोगों से जुडे इस बड़े घोटाले में कंपनियों से लेकर अधिकारियों और नेताओं तक की सांठगाठ है. यह साठगांठ इतनी मजबूत है कि मुख्यमंत्री को पूरे घोटाले की जानकारी सुप्रीम कोर्ट कमिश्नर्स और नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स ने दी थी लेकिन फिर भी कुछ नहीं हुआ. इससे यह अंदाजा लगया जा सकता है कि महाराष्ट्र के यह ठेकेदार कितने मजबूत हैं.
आईसीडीएस कुपोषण से लड़ने के लिए देश की सबसे बड़ी खाद्य सुरक्षा योजना है. 8000 करोड़ रुपए की ये योजना 6 साल के बच्चों और उनकी माताओं को मुफ्त भोजन मुहैया कराने के लिए है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि महाराष्ट्र के अलावा कई अन्य राज्यों में भी कॉन्ट्रैक्टर-कॉरपोरेट लॉबी बनाकर करोडों रुपए की इस योजना पर कब्जा जमा लिया गया है. रिपोर्ट में कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और मेघालय का भी उल्लेख है.
देश इस समय उठापटक के दौर से गुजर रहा है. नित नए-नए खुलासे ने मीडिया से लेकर आम जनता में खलबली पैदा कर दी है. किसी को भी नहीं सूझ रहा कि यह हो क्या रहा है. जिस देश को हम विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र समझते थे दरअसल वह घोटालों और भ्रष्टाचारियों का तंत्र बन चुका है.
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