एक औरत जिसे कई बार लोग थर्ड क्लास साड़ी पहनने वाली गंवार और चिल्लाने वाली महिला कहते हैं वह भारतीय राजनीति में इतना प्रभाव रखती हैं कि देश के इतिहास में पहली बार एक रेलमंत्री को रेल बजट पेश करते ही मंत्रालय से बाहर करवा देती हैं. जिनके एक बार कहने पर विश्व की रिटेल मार्केट की सबसे बड़ी संस्था की भारत में नो एंट्री लग जाती है उनका रुतबा भारत में तो सब जानते हैं लेकिन उनकी पहुंच और प्रभाव से विश्व भी अच्छी तरह वाकिफ है. और यह शख्सियत कोई और नहीं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं.
विश्व की 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में ममता बनर्जी
हाल ही में न्यूयॉर्क की टाइम मैगज़ीन ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को विश्व के 100 सबसे ज्यादा प्रभावशाली व्यक्तियों में शुमार किया है. टाइम ने ममता बनर्जी को 92वें स्थान पर रखा है. बंगाली राजनेता यूएस राष्ट्रपति बराक ओबामा, बिलियनायर वॉरेन बफेट और एप्पल इंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी टिम कुक जैसे मशहूर लोगों के साथ इस सूची में शुमार हैं.
ममता की तारीफ में पत्रिका का कहना है, ‘सांसदों की खरीद-फरोख्त के लिए मशहूर नई दिल्ली के सत्ता के गलियारों में भी उन्होंने अपनी अलग छाप छोड़ी. सड़क पर उन्होंने वामपंथियों को पटखनी दी’. अपने समर्थकों में ‘दीदी’ के नाम से मशहूर ममता बनर्जी के आलोचक उन्हें अस्थिर मानसिकता वाली सड़कछाप सनकी नेता कहते हैं. लेकिन ममता बनर्जी की शख्सियत को समझ पाना हर किसी के बस की बात नहीं.
आखिर क्या है ममता की पहचान
ममता बनर्जी की पहचान सादी साड़ी और बेबाक राय वाली महिला की है. हमेशा एक सादी साड़ी और हाथ में एक कपड़े का थैला ममता बनर्जी के राजनीतिक कॅरियर की यही पहचान है. जहां एक तरफ दूसरी महिला नेताएं पैसा आने के बाद स्टाइलिश कपडे आदि पहनने की शौकीन बन जाती हैं उसके विपरीत ममता बनर्जी ने हमेशा अपनी सादगी बनाए रखी लेकिन यह सादगी उनके विचारों और कृत्यों में नजर नहीं आई.
नाम ही नहीं काम पर भी जाइए जनाब
कभी जयप्रकाश नारायण की कार के बोनट पर कूद जाना तो कभी बंगाल की अनदेखी पर रेलमंत्री रामविलास पासवान पर अपनी शाल फेंक देना तो कभी समाजवादी पार्टी सांसद अमर सिंह का कॉलर भी पकड़ लेना साबित करता है कि जिसे लोग शबनम समझते हैं वह हालात बदलते ही शोला भी बन जाती हैं.
ममता बनर्जी अपने नाम के अनुसार ममतामयी तो हैं लेकिन उन्हें बंगाल के आगे कुछ और नजर नहीं आता है. यह बात जहां बंगाल के लोगों के लिए अच्छी है वहीं उनके राजनीतिक कॅरियर के लिए खराब. ममता बनर्जी गरीबों के लिए तो मसीहा हैं लेकिन अमीरों और पूंजीपतियों के लिए उनकी विचारधारा बहुत पुरानी या यूं कहें दकियानुसी है. रेल किरायों में मामूली-सी बढ़त पर चिढ़ जाना और रातों रात देश के रेलमंत्री को बदल देना उनके चिड़चिड़ेपन को दर्शाता है.
लेकिन इस बात में कोई दो राय नहीं है कि ममता बनर्जी देश ही नहीं दुनिया की भी प्रभावशाली महिला हैं. ऐसी शख्सियत का देश में होना इस बात की गवाही देता है कि भारत में महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं. ऐसी शख्सियतें ही हमारी राजनीति को बेहद दिलचस्प बनाती हैं.
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