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यहाँ सरकारी कर्मचारी खुद तय करते हैं ऑफिस आने का समय

कहा जाता है प्रजातंत्र में कानून से ऊपर कोई नहीं होता. बिहार चुनाव में प्रचार के दौरान जंगलराज का मुद्दा जोर-शोर से उठाया गया पर उतने ही जोर-शोर से उसका विरोध भी हुआ. अब वोटों की गिनती होने के बाद नयी सरकार बन चुकी है. सराकारी काम-काज का आरम्भ हो गया है. नयी सरकार से बेहतर उम्मीदों के बीच जो खबरें बिहार के अखबारों की सुर्खियाँ बन रही है, वो जरूर बिहारियों की परेशानियाँ बढ़ाने वाली है.


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थनवे में पटक के मारम

भोजपुर के बड़हरा विधायक सरोज यादव ने चरपोखरी थाना प्रभारी का नंबर डायल किया. दूसरी ओर से फोन पर थाना प्रभारी थे. विधायक ने उनसे एक हत्या के मामले में जानकारी लेने के साथ उसकी पैरवी की. थाना प्रभारी ने विधायक के सुझाये लीक पर चलने से इंकार किया. इस पर विधायक सरोज यादव भड़क गये और धमकाते हुए कहा,’’थनवे में पटक के मारे लागम.’’



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सरकारी कर्मचारी खुद तय करते हैं ऑफिस आने का समय

जितनी दबंगई कुछ विधायकों की है उससे कम सरकारी पदाधिकारियों और कर्मचारियों की नहीं है. मधेपुरा जिला मुख्यालय के सरकारी कर्मचारी समय पर कार्यालय नहीं पहुँचते. यही हाल अनुमंडल और अंचल कार्यालयों में कार्यरत सरकारी पदाधिकारियों और कर्मचारियों की है. लेटलतीफी का आलम यह है कि राज्य सरकार के स्तर से आये पत्रों का ससमय निष्पादन नहीं हो पा रहा है. कर्मचारियों की लेटलतीफी से कार्यालय संचिकाओं का अद्यतीकरण कठिन हो गया है. इससे परेशान जिला पदाधिकारी मो. सुहैल ने पत्र लिखकर अधीनस्थ पदाधिकारियों को समय से आने को कहा है.



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या तो तुम रहोगे या मैं

ये अंग्रेजों से आजादी के लिये किसी नेता का दिया नारा नहीं है. ये डीएसपी को विधायक गोपाल मंडल के तरफ से दी गयी धमकी है. विक्रमशिला पुल पर जाम हटाते समय जदयू विधायक गोपाल मंडल के समर्थकों ने डीएसपी आर. के. गुप्ता से बदसलूकी की जिसकी लिखित सूचना उनके गनर ने थाने में दी. आरोप के अनुसार अगली सुबह विधायक गोपाल मंडल ने डीएसपी को फोन पर धमकी दी. उन्होंने सिटी एसपी के सामने एक दूसरे को देख लेने की बात कही.


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इन सब घटनाओं की खबरों पर नजर रख रही जनता को मुख्यमंत्री नितीश कुमार और अपराध कम करने की उनकी छवि पर भरोसा है. आशान्वित बिहारी जानते हैं कि उनके मुख्यमंत्री चंद घटनाओं से बिहार पर आपराधिक होने का दाग नहीं लगने देंगे.Next….


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