पहले कहानी घर की थी और अब तो यह जगजाहिर हो गई है. यह कहानी देश की सफलता की नहीं बल्कि देश में फैले भ्रष्टाचार की है. पहले टाइम पत्रिका ने विश्व के सबसे भ्रष्ट लोगों में ए. राजा को शामिल किया था और अब विकीलिक्स ने भारत की प्रसिद्ध नेता और उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के बारे में कई ऐसे सचों को उजागर किया जिन्हें सुनने के बाद समझ आता है कि देश आखिर गढ़्ढे में जा क्यूं रहा है. हालांकि हम सब जानते हैं कि विकीलिक्सके खुलासों की कोई पुष्टि तो नहीं की जा सकती पर अभी तक कोई भी विकीलिक्स के सच को झूठ साबित नहीं कर पाया है.
दलित राग व सोशल इंजीनियरिंग फार्मूले के बल पर उत्तर प्रदेश की सत्ता पर तीसरी बार कब्जा जमाने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती की शाहखर्ची को सुनकर साफ हो जाता है कि आखिर क्यूं “दबंग” की पृष्ठभूमि उत्तर प्रदेश पर आधारित है.
अमेरिकी दूतावास के गोपनीय संदेशों का खुलासा करने वाली इस रिपोर्ट में कहा गया है कि तानाशाही अंदाज में काम करने वाली मायावती ने घर से दफ्तर जाने के लिए विशेष सड़क बनवा रखी है. पसंदीदा ब्रांड की चप्पलें लेने सरकारी विमान लखनऊ से मुंबई जाता है. खाना बनाने के लिए मुख्यमंत्री आवास में रसोइयों की फौज तैनात है. इतना ही नहीं, भोजन की गुणवत्ता जांचने के लिए खाद्य निरीक्षक तक है.
विकीलिक्स के मुताबिक, दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने अपने एक राजनीतिक प्रतिनिधि को यूपी के राजनीतिक हालात का जायजा लेने [13 से 17 अक्टूबर] लखनऊ, बनारस व कानपुर भेजा था. उसी की रिपोर्ट के आधार पर दूतावास ने 23 अक्टूबर 2008 को अमेरिकी विदेश मंत्रालय को गोपनीय संदेश भेजा, जिसमें कहा गया है कि मुख्यमंत्री मायावती बेहद शाहखर्च हैं.
प्रदेश सरकार के साथ होने वाली हर डील में मायावती का हिस्सा होता है. वह अपने जन्मदिन पर पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं से उपहार में लाखों रुपये ग्रहण करती हैं. चुनाव में पार्टी का टिकट लेने के लिए नेताओं को उन्हें 2.5 लाख डालर [तकरीबन एक करोड़ रुपये] की भेंट चढ़ानी पड़ती है.
मायावती को पसंद नहीं कि उनका कोई मंत्री उनकी जानकारी और इजाजत के बगैर कोई काम करे. एक पत्रकार के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि एक मंत्री ने मुख्यमंत्री की इजाजत के बगैर राज्यपाल को एक कार्यक्रम में बुला लिया तो मायावती ने मंत्री से अपने कार्यालय में उठा-बैठक तक करा डाली. ऐसा ही एक किस्सा तब भी देखने में आया था जब एक नेता मायावती की जूती साफ कर रहा था.
अब एक महिला मुख्यमंत्री की ऐसी दबंगई देख कर आप क्या कहेंगे. विकीलिक्स के खुलासे के बाद मायावती ने इसका कड़े शब्दों में विरोध किया पर इसने एक बार फिर इस मुद्दे को उठा दिया है कि क्या मायावती राज उत्तर प्रदेश के लिए उसी तरह है जैसे कुछ समय पहले लालू का शासन बिहार के लिए था. एक खाली जहाज को सिर्फ अपनी चप्पलें लेने के लिए भेज देना, जरा सी बात पर मंत्री से उठक-बैठक करवाना और नोटों की माला पहनने वाली नेता को हम किन शब्दों में आदर्श नेता की श्रेणी में रखते हैं. अपने प्रदेश में मायावती ने अपनी इतनी मूर्तियां लगवा रखी हैं जैसे उत्तर प्रदेश उनका अपना घर हो जहां वह जगह-जगह अपनी तस्वीरें लगा रही हैं.
कुछ ही समय में उत्तर प्रदेश में चुनाव होने हैं ऐसे में देखना होगा कि क्या उत्तर प्रदेश की आवाम विकीलिक्स पर भरोसा करती है या मायावती के लुभावने विज्ञापनों पर.
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