पिछले कई दिनों से जो आशंका जताई जा रही थी वही हुआ. संसद हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के बाद जो आग आतंकवादियों (Militants Attack) के दिलों में लग रही थी वह जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के सीआरपीएफ कैम्प में फूट पड़ी. आतंकवादियों ने पांच जवानों सहित कुल सात लोगों को अपने चपेट में ले लिया जबकि इस हमले में आठ अन्य घायल हो गए.
Read: जब नमक ने बदल दी देश की तकदीर
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने विधानसभा में इसकी जानकारी देते हुए बताया कि सुबह करीब 10:45 बजे घाटी के बेमिना चौक स्थित सीआरपीएफ बंकर पर दो आतंकियों ने फिदायीन हमला कर दिया. आतंकियों ने पहले हथगोले दागे फिर जबरदस्त फायरिंग की. इस हमले में पांच सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए और आठ अन्य घायल हो गए. घायलों में तीन नागरिक भी शामिल हैं जो खतरे से बाहर बताए गए हैं.
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि बाद में दोनों आतंकियों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया. उन्होंने बताया कि एक और आतंकी के वहां छुपे होने की आशंका है जिसके लिए सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है. पिछले तीन सालों में यह पहला आत्मघाती हमला है. इससे पहले आतंकवादियों ने जनवरी 2010 में घाटी में हमला किया था.
Read: जूते न होने की वजह से भारतीय टीम………
गौरतलब है कि भारत के अभिन्न अंग कश्मीर पर चरमपंथियों की बुरी नजर रही है. उन्होंने घाटी में अशांति फैलाने के लिए कई बार अपने नापक इरादों को अंजाम दिया है लेकिन आज तक अपने मंसूबे में वह कामयाब नहीं हो पाए.
वैसे आतंकवादियों ने कैम्प पर जो हमला किया है उसका सही अनुमान लगाना अभी जल्दबाजी होगी लेकिन जिस तरह से पिछले कई दिनों से जम्मू-कश्मीर में तनाव की स्थिति रही है, अमन-चैन कायम रखने के नाम पर नागरिकों को नजरबंद किया जा रहा है, राज्य में केबल-मोबाइल नेटवर्क ठप कर दिया गया है और वहां कर्फ्यू लगा दिया, उसके बाद से यह संदेह किया जा रहा है कि इस घटना में उन्हीं लोगों का हाथ है जिन्होंने आतंकवादी अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के बाद बदला लेने भी धमकी दी थी. इस विस्फोट के बाद एक बार फिर भारत की जांच एजेंसियों पर सवाल खड़े किए जाएंगे जो ऐसे हर हमले के बाद जागती हैं और उसके थोड़े दिनों बाद फिर सो जाती हैं.
Read:
Read Comments