भारतीय राजनीति में मतदाताओं को लुभाने के लिए हर तरह के पैंतरे को अपनाया जाता है लेकिन कभी पैसा लेकर जनता की भीड़ को जुटाना आपने कम ही सुना होगा. आजकल अपने सभी विरोधियों के लिए सिरदर्द बन चुके गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह करके दिख दिया.
हैदराबाद से दक्षिण भारत में भाजपा के चुनाव प्रचार के अभियान की शुरुआत करते हुए भाजपा चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष नरेंद्र मोदी को देखने के लिए हजारों लोगों ने अपनी जेब से पांच रुपए खर्च किए. वैसे तो मोदी ने इस जनसभा का आयोजन उत्तराखंड राज्य के बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए राशि जुटाने के वास्ते किया लेकिन इस बहाने उन्होंने न केवल अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया बल्कि विरोधियों के खिलाफ भी हुंकार भरी.
लाल बहादुर शास्त्री स्टेडियम में आयोजित विशाल रैली में मोदी ने लगभग सभी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी बात रखी. मोदी ने नियंत्रण रेखा पर हमले की पृष्ठभूमि में संप्रग सरकार की पाकिस्तान नीति पर सवाल खड़े किए. मोदी ने सवाल करते हुए लोगों से पूछा कि क्या हम उनके साथ प्रोटोकाल का पालन कर सकते हैं जो हमारे सैनिकों की हत्या करते हैं. उन्होंने कहा कि चीन भारत की सीमा में घुसता जा रहा है लेकिन उसे रोकने के लिए सरकार कुछ नहीं कर रही है. मोदी ने कांग्रेस पर तेलंगाना और सीमांध्र क्षेत्रों के लोगों के बीच विवाद पैदा करने का आरोप लगाया और कहा कि संप्रग सरकार देश को सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकती, वह वोट बैंक की राजनीति में डूबी हुई है.
इन सब के बावजूद मोदी की विशाल रैली में जो सबसे ज्यादा गौर करने वाली बात थी वह हजारों की भीड़. इसमे न केवल स्वयं भाजपा आश्चर्य चकित है बल्कि विरोधी दल भी हक्के बक्के हैं. कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि मोदी के इस स्टाइल से कोई फायदा नहीं होने वाला है. मोदी की सभा में जो भीड़ दिख रही थी, ऐसी भीड़ किसी चुनावी सभा में नहीं दिखी. समझ नहीं आ रहा है कि ऐसी भीड़ कैसे जुटाई गई. “उन्होंने कहा कि कहा से लाए गए लोग कितने पैसे दिए गए”. कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने मोदी पर निशाना साधते हुए उन्हें फर्जी देसी ओबामा करार दिया है.
वैसे यदि कहा जाए तो मोदी भीड़ जुटाने के मामले में अन्य दूसरे नेताओं के मुकाबले सक्षम दिखाई देते हैं. वह लोगों को आकर्षित करने कए लिए हर पैंतर को अपनाते हैं. पिछले दो गुजरात विधानसभा चुनाव में उन्होंने ऐसा ही करके दिखाया है इसलिए वह आज गुजरात के तीसरी बार मुख्यमंत्री है. उन्होंने पिछले गुजरात विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए 3डी जैसे मंहगे तकनीक का प्रयोग किया जिसमे उन्हें कामयाबी भी मिली. इससे पहले 2007 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान मोदी के मुखौटे बीजेपी की प्रचार रणनीति का अहम हिस्सा था.
लेकिन राशिद अल्वी की बात पर यदि अमल किया जाए तो मोदी अपने आप को ब्रांड के रूप में स्थापित करने के लिए पांच रुपए लेने के रूप में हजार रुपए दे भी सकते हैं. इस तरह से वह लोगों के बीच यह संदेश पहुंचाने की कोशिश करेंगे कि वह एक ऐसे कद्दावर नेता हैं जिन्हें देखने या सुनने भर के लिए लोग पैसे खर्च कर देते हैं. वैसे भी भारतीय राजनीति में पैसे देकर वोट खरीदना या भीड़ जुटाना एक पुरानी परंपरा है. हां हो सकता है कि मोदी ने इसे नया रूप दिया हो.
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