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टोपी पहनाना मंजूर पर पहनना नहीं!

Modi fastभारत में नेताओं को टोपी पहनाने में माहिर माना जाता है. फिर चाहे वह अपने भाषणों से हो या आजकल के नए तरीके यानि अनशन से. आजकल भारत में अनशन पर बैठने का नया ट्रेंड चल पड़ा है. कभी गांधीजी ने अनशन का रास्ता भारत को आजादी दिलाने के लिए इस्तेमाल किया था. लेकिन अब तो अनशन पर बैठना जनता के दिलों में इमोशनल प्यार पैदा करने का एक तरीका है. अभी हाल ही में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात दंगा पीड़ितों के लिए तीन दिन का उपवास रखा.


लेकिन मोदी की यह मुहिम उन पर ही उलटी पड़ती नजर आई. तीन दिन के हाई वोल्टेज ड्रामे में मोदी का उपवास स्थल वीआईपी लोगों के जमा होने की जगह बना रहा. मंच पर मोदी जी का उपवास चल रहा था और मंच के अंदर लोगों की शर्बत, चाय आदि से सेवा की जा रही थी.


Modiऔर तो और जिस सदभावना की मोदी साहब बात कर रहे थे, जिसके लिए उन्होंने अनशन रखा था उसे मात्र एक टोपी के लिए ताक के नीचे रख दिया. दरअसल सदभावना उपवास के जरिए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी ताकत तो दिखा थी, लेकिन मुस्लिमों के बीच जगह बनाने की उनकी कोशिश उलटी पड़ती दिख रही है. टोपी विवाद ने तो मोदी की सदभावना मुहिम को पूरी तरह अपने लपेटे में ले लिया.


दरअसल मोदी के सदभावना उपवास को यह कहकर प्रचारित किया जा रहा था कि मोदी सभी समुदायों के लोगों के बीच सदभावना का संदेश देना चाहते हैं. साल 2002 के गुजरात दंगों की वजह से मोदी की छवि एक मुस्लिम विरोधी नेता की हो गई थी जिसे मोदी किसी भी कीमत पर बदलना चाहते थे. उन्होंने इस उपवास की शुरुआत में भी कहा था कि बतौर मुख्यमंत्री वह सभी समुदायों का एक जैसा ख्याल रखते रहे हैं और आगे भी रखते रहेंगे. तीन दिनों के इस उपवास के दौरान अलग-अलग तमाम समुदायों के लोग मोदी से मिले और उन्हें अपने समुदाय की पगड़ी वगैरह भेंट की. मोदी ने वे पगड़ियां मंच पर ही पहनीं भी. लेकिन, उपवास के दूसरे दिन रविवार को अहमदाबाद जिले के पीराणा गांव के इमाम शाही सैय्यद ने मंच पर मोदी को भेंटस्वरूप इस्लामिक टोपी पहनाने की कोशिश की. उन्होंने जेब से टोपी निकाली थी थी कि मोदी ने हाथ जोड़कर उनसे कुछ कहा. इसके बाद इमाम ने अपने गले में पड़ी शाल उन्हें ओढ़ा दी और टोपी जेब में रख ली.


मोदी ने यह कह कर टोपी नहीं पहनी कि वह टोपी नहीं पहनते. अब जब मोदी सभी धर्मों की पगड़ी शान से पहन सकते हैं तो भला उन्हें टोपी पहनने में क्या हर्ज था या फिर वाकई उनके हिंदू प्रेम ने उन्हें ऐसा करने से रोका.


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