भारत में 2014 के आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी स्तर पर मंथन चल रहा है. देश की सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियां अपनी धार मजबूत करने के जद्दोजहद में लग गई हैं. एक तरफ जहां जयपुर के चिंतन शिविर में कांग्रेस अपनी आगामी रणनीतियों को लेकर गहन विचार-विमर्श कर रही है वहीं दूसरी तरफ भाजपा भी इस बार केंद्र की सत्ता में आने का कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहती. पार्टी ने इसी बात को ध्यान में रखते हुए यह संकेत दिया है कि फरवरी में नरेंद्र मोदी को चुनाव की कमान सौंपी जाए.
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वैसे नरेंद्र मोदी ने जब गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में चौथी बार शपथ ली तभी यह संकेत मिल गया था कि आने वाले लोकसभा चुनाव में वह बड़ी भूमिका निभाएंगे. गुजरात विधानसभा चुनाव 2012 में जिस तरह से नरेंद्र मोदी विरोधियों को पटकनी देकर एक बार फिर सत्ता पर काबिज हुए उससे पार्टी में उनकी भूमिका को लेकर और चर्चाएं होने लगीं. मोदी के प्रभावशाली व्यक्तित्व को देखते हुए पार्टी के कई बड़े नेता यह चाहते हैं कि मोदी को भाजपा की तरफ से चुनाव संचालन समिति का प्रभारी बनाया जाए.
सूत्रों के अनुसार, मोदी को 2014 की चुनावी कमान सौंपने पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक की भी सहमति है. मोदी पार्टी में केंद्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका मिलने के बावजूद गुजरात के मुख्यमंत्री बने रहेंगे. जानकारों का यही मानना है कि भाजपा और संघ राजग के मौजूदा स्वरूप पर कोई आंच नहीं आने देना चाहते, इसलिए वह मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए पेश नहीं करेंगे. गौरतलब है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले ही साफ कर चुके हैं कि अगर बीजेपी नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवार बनाती है, तो उनकी पार्टी एनडीए से अलग हो जाएगी. पार्टी का यह निर्णय एक सूझबूझ भरा फैसला हो सकता है.
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समाज के एक वर्ग द्वारा मोदी को भले ही गुजरात दंगों का मुख्य खलनायक माना जा रहा हो इसके बावजूद भी मोदी अपनी पार्टी और लोगों के नायक बने हुए हैं. उनकी भाषण देने की कला, विरोधियों को अपने ही तरीके से जावब देना उनके चाहने वालों को बहुत ही पसंद आ रहा है. उनके चुनाव में प्रचार करने के तरीके ने उन्हें न केवल गुजरात में बल्कि पूरे देश में लोकप्रिय बना दिया है.
अगर मोदी को चुनाव प्रचार की कमान सौंपी जाती है तो उससे न केवल पार्टी में टिकट बांटने में उनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाएगी बल्कि उससे भाजपा के कार्तकर्ताओं में एक नए तरह की उर्जा और उत्साह देखने को मिलेगा. कार्यकर्ता मोदी के नेतृत्व में पार्टी को जिताने के लिए अपना सब कुछ झोंक देंगे.
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