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हंगामे और नारेबाजी का केंद्र बन चुकी है संसद

एक वक्त था जब भारतीय संसद में देश से जुड़े मुद्दों पर बहस होती थी, विधेयक लाने के लिए हर तरह के व्यक्तियों की राय ली जाती थी लेकिन आज ऐसा नहीं है. आज संसद विभिन्न तरह के विचारों, बहसों का केंद्र न रहकर हंगामे और नारेबाजी का केंद्र बन चुका है. आज किसी भी विधेयक को यदि पास करवाना है तो सत्ता दल दूसरे दलों की तरफ नहीं देखता बल्कि खुद ही सोच-विचार करके उसे कानून का रूप देने की कोशिश करता हैं .


indian parliament sessionआज से संसद शुरू

संसद का मानसून सत्र सोमवार यानी आज से शुरू हो चुका है जो 30 अगस्त तक चलेगा. सरकार ने 44 विधेयकों को सूचीबद्ध किया है, जिन्हें पारित कराना उसकी प्राथमिकता है. लेकिन जिस तरह से विपक्ष के तेवर हैं उससे यह उम्मीद नहीं दिख रही कि इन विधेयकों को कानून का रूप दे पाएगी. मुख्य विपक्षी दल बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने खाद्य बिल की खामियों, महंगाई, एफडीआई, उत्तराखंड त्रासदी, खराब आर्थिक स्थिति, डॉलर के मुकाबले रुपए की कमजोर स्थिति, सीबीआई-आईबी गतिरोध, चीन का आक्रामक रुख, तेलंगाना, अफगानिस्तान में भारतीय हितों की रक्षा, पेट्रोल-डीजल की कीमत जैसे जनहित और देशहित से जुड़े मुद्दों पर यूपीए सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है.


भारतीय फुटबॉल की उम्मीद का सितारा


खाद्य सुरक्षा विधेयक के पास

संसद के इस मानसून सत्र में सरकार की प्राथमिकता खाद्य सुरक्षा विधेयक, बीमा एवं पेंशन क्षेत्र में सुधार से संबंधित विधेयक तथा राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के दायरे से बाहर रखने के लिए आरटीआई अधिनियम में संशोधन से संबंधित विधेयक को पारित करवाने की होगी.


एक सत्र में सबसे कम बैठक

पिछले कई सालों से अगर देखें तो संसद का कोई भी सत्र बिना किसी उचित बहस और विचार के हंगामे के भेट चढ़ रहा है लेकिन इस बार यह रिकॉर्ड भी बनाने जा रहा है. 30 अगस्त तक चलने वाले इस सत्र में कुल 16 बैठकें होंगी जो संसद के एक सत्र में सबसे कम बैठकों के मामले में यह एक रिकॉर्ड हैं.

अगर इतिहास के पन्ने को पलटें तो आजादी के बाद जब पंडित जवाहर लाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री बने उस समय एक संसद के सत्र में 100 से ज्यादा बैंठके होती थीं यह सिलसिला लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी के कार्यकाल में भी जारी रहा. अगर बात पिछले तीन दशकों की करें तो देश के जनप्रतिनिधि संसद के बैठकों से भागते हुए दिखे. इसमें भारी कमी एनडीए और यूपीए के शासन काल में दिखी. एनडीए के शासन में अधिकतम 87 व न्यूनतम 51 बैठकें हुईं थीं जबकि यूपीए की पहली पारी में 53 से 82 तक बैठकें हुईं, वहीं दूसरी पारी में यह औसत मात्र 52 बैठकों का है.


कुछ और आंकड़े

1. पहले लोकसभा में हर साल औसतन 72 विधेयक पास हुई जो घटकर 15वें लोकसभा में 40 के करीब आ गई.

2. 1976 में संसद ने 118 बिल पास किए जो एक साल में अब तक का सबसे उच्चतम स्कोर है.

3. 2004 में 18 बिल पास किए जो अब तक का सबसे कम स्कोर है.


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