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Mukesh Ambani: दुलरुवा मुकेश अंबानी की आवभगत करता है प्रधानमंत्री कार्यालय

mukesh ambani with prime ministerरह-रहकर कभी व्यापारियों तो कभी राजनीतिक परिवारों पर आरोपों के बम छोड़ने वाले सामाजिक कार्यकर्ता व इंडिया अगेंस्ट करप्शन नेता अरविंद केजरीवाल ने इस बार कारोबार के दिग्गज और रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी को निशाना बनाया. अरविंद केजरीवाल ने केजी डी-6 बेसिन पर कांग्रेस और बीजेपी का रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी के साथ साठगांठ का आरोप लगाते हुए कहा कि लगता है देश को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नहीं बल्aकि मुकेश अंबानी चला रहे हैं.


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अरविंद ने कांग्रेस और बीजेपी को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि किस तरह से देश की दोनों राष्ट्रीय पार्टियां रिलायंस की मुट्ठी में हैं. उन्होंने अपने नए खुलासे में कहा कि केजी बेसिन मामले में मुकेश अंबानी सरकार को ब्लैकमेल कर रहे हैं. गैस निकालने के लिए अंबानी ने पैसे बढ़ाकर मांगे और सरकार ने उन्‍हें मनमानी करने दी जिसकी वजह से देश में मंहगाई भी बढ़ी. लेकिन अरविंद केजरीवाल के आरोपों को रिलायंस इंडस्ट्रीज ने खारिज कर दिया है. रिलायंस ने बयान जारी करके तमाम आरोपों को बेबुनियाद ठहरा दिया.


वैसे अरविंद ने इस बार जिस व्यक्ति को आरोपों के जाल से फंसाया है वह कॉरपोरेट जगत का बहुत बड़ा नाम हैं जिसके नाम कई महत्वपूर्ण कंपनियां है जिसमें आईपीएल की मुंबई इंडियन्स भी शामिल है. उनकी विदेशों में एक बड़े बिजनेसमैन के रूप में पहचान है. आपको बता दें कि हाल ही में विश्व प्रतिष्ठित फोर्ब्स पत्रिका ने 100 भारतीय धनवानों की सूची में रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख मुकेश अंबानी को पहला स्थान दिया है. इसी पत्रिका के अनुसार वह दुनिया के चौथे सबसे अमीर व्यक्ति हैं और वह विश्व में सबसे मंहगे घर 27 मंजिलों वाले ‘एंटिला’ में रहते हैं.


अरविंद द्वारा इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में पेश किए गए टेप में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दामाद रंजन भट्टाचार्य नीरा राडिया से कह रहे हैं कि मुकेश अंबानी ने उनसे कहा कि ‘कांग्रेस तो अब अपनी दुकान है’. केजरीवाल ने दावा किया कि रिलायंस की वजह से दो पेट्रोलियम मंत्रियों की कुर्सी गई. उन्होंने कहा कि पूर्व पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेड्डी की कुर्सी इसलिए गई क्योंकि उन्होंने रिलायंस के खिलाफ कड़े नियम बनाए थे. पहले भाजपा और फिर कांग्रेस ने जिस तरह से रिलांयस की आवभगत की इससे न केवल देश में मंहगाई बढ़ी बल्कि देश के राष्ट्रीय कोष को भी नुकसान पहुंचा.


जैसा कि अरविंद ने कहा कि देश को प्रधानमंत्री मनमोहन नहीं बल्कि मुकेश अंबानी चला रहे हैं इस बात से और अधिक स्पष्ट हो जाता है कि सच में प्रधानमंत्री के हाथ में सत्ता नहीं है. पिछले साल आखिरी दिनों में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को प्रमुख कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए रूस का दौरा करना था तो आखिरी वक्त पर मुकेश अंबानी ने प्रधानमंत्री के साथ रूस के दौरे पर जाने से मना कर दिया. इस कार्यक्रम का आयोजन इंडो-रशिया सीईओज काउंसिल के बैनर तले होना था. भारत की तरफ से इस संगठन की अध्यक्षता रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी करते हैं. हालांकि, प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों ने मुकेश अंबानी को मनमोहन सिंह के साथ रूस चलने के लिए मनाने की काफी कोशिश की, लेकिन बड़े अंबानी समय की कमी की बात कहकर रूस दौरे पर नहीं गए. यह पहली बार नहीं है. ऐसे कई मौके आए हैं जब उद्योगपति मुकेश अंबानी को मनाने के लिए बड़े-बड़े अधिकारी और राजनेता लाइन लगाते हैं.


इस तरह से आप अनुमान लगा सकते हैं कि मुकेश अंबानी के आगे प्रधानमंत्री की इज्जत क्या है. लोकतांत्रिक देश में प्रधानमंत्री की छवि बहुत ही बड़ी होती है ऐसे में कोई अगर इस पद की गरिमा का ख्याल नहीं रखता तो आप समझ सकते हैं कि सत्ता की कमान किस तरह के लोगों को सौंपी गई है.


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