पिछले एक दशक से मुस्लिम विरोधी आरोपों का सामना कर रहे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को शायद इस खबर से राहत मिलेगी जिसमें यह बताया गया है कि अन्य राज्यों की तुलना में गुजरात में सबसे ज्यादा मुस्लिम पुलिसवाले हैं. एक अंग्रेजी अखबार द्वारा लगाई गई आरटीआई से पता चलता है कि गुजरात के पुलिस थानों में तैनात पुलिसकर्मियों में से 10.6 प्रतिशत मुसलमान हैं. यह अनुपात राज्य में मुस्लिमों की जनसंख्या के मुकाबले ज्यादा है.
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एक दशक पहले सांप्रदायिक दंगा झेलने वाले गुजरात राज्य में इस तरह के आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं. गुजरात के 501 पुलिस थानों में पोस्टेड 47,424 पुलिसकर्मियों में से 5021 मुस्लिम समुदाय से हैं. इस लिहाज से देखें तो गुजरात के हर थाने में औसतन 10 मुस्लिम पुलिसकर्मी हैं. वहीं अगर केरल की बात करें जहां गुजरात से भी अधिक मुसलमान हैं तो 451 थानों में 2210 पुलिसकर्मी मुस्लिम हैं. पश्चिम बंगाल के 525 थानों में केवल 2048 पुलिसवाले ही मुस्लिम हैं जबकि सबसे खराब रिकॉर्ड राजस्थान का रहा है जहां के 773 थानों में केवल 930 पुलिसकर्मी ही मुस्लिम हैं.
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अकसर गुजरात विकास की राजनीति करने वाले मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने जब भी अल्पसंख्यकों का मुद्दा उठता है तब कहीं न कहीं वह अपने आप को पराजित महसूस करते हैं. गुजरात दंगा उनके लिए सबसे बड़ा दाग है जिसे वह आज तक नहीं मिटा पाए हैं. वह जिस भी मंच पर होते हैं गुजरात दंगों से संबंधित कोई भी सवाल उनका पीछा नहीं छोड़ते. आज गुजरात हिंसा हुए दस साल से भी ज्यादा वक्त हो चुका है लेकिन वहां के मुसलमान अब भी उन्हें खलनायक के रूप में देखते हैं. ऐसा नहीं है कि उन्होंने इस दाग को मिटाने की कोशिश नहीं की है. उन्होंने रह-रह कर कई सभाओं और सम्मेलनों में अपने आप को मुसलमानों का हितैषी बताया तथा राज्य के विकास के साथ अल्पसंख्यकों को भी जोड़ा लेकिन फिर वह उसमें असफल साबित हुए.
राज्य में विधानसभा चुनाव को देखते हुए मोदी के विरोधी उन्हें हर तरह से घेरने की कोशिश कर रहे हैं. उनके विकास के दावे को धता बताते हुए मोदी पर व्यक्तिगत बयान दे रहे हैं. ऐसे में मोदी के लिए यह खबर सुकून पहुंचाने लायक है. लेकिन इससे यह नहीं कहा जा सकता कि इस तरह के तथ्यों से मोदी पर लगे संगीन आरोप मिट जाएंगे.
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