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मुलायम अपने पैर पर कुल्हाड़ी तो नहीं मार रहे हैं !!

mulayam singh yadavहिंदुस्तान की राजनीति में मुस्लिम वोटों का अहम योगदान है. वैसे तो देश के अलग-अलग हिस्सों में मुसलमान हैं लेकिन मुसलमान वोटों को लेकर जैसी मारामारी उत्तर प्रदेश में है वैसी किसी और राज्य में नहीं है. पिछले कुछ सालों से उत्तर प्रदेश के चुनाव में मुस्लिम वोटों ने राजनीतिक समीकरण बनाए भी हैं और बिगाड़े भी. इनको नाराज करना समझो अपने आप को सत्ता से दूर करने के समान है.


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इस बात को उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव (Muslims for Votes for Mulayam) भलीभांति समझते हैं. इसीलिए उन्होंने 2012 विधानसभा चुनाव से पहले खुद के द्वारा की गई पुरानी भूल को दुरुस्त किया था. यह भूल थी 2009 के लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा नेता कल्याण सिंह को अपना साथी बनाना. यह वही कल्याण सिंह हैं जिनके दामन पर विवादित ढांचा विध्वंस का दाग लगा हुआ है. इसी भूल की वजह से पिछले आम चुनाव में समाजवादी पार्टी को भारी खामियाजा भुगतना पड़ा था और सपा 39 से 22 सीटों पर आ गई थी. उनके सारे मुसलिम प्रत्याशी चुनाव हार गए थे.


लेकिन यह क्या समाजवादी पार्टी और स्वयं मुलायम सिंह फिर वही गलती करने जा रहे हैं जो उन्होंने 2009 के लोकसभा चुनावों से पहले कल्याण सिंह के मामले में की. उन्होंने आम बजट के एक दिन पहले ऐसा बयान दिया जो उनके वोट के समीकरण को बिगाड़ सकता है. उन्होंने भाजपा को अपनी नीति बदलने की सलाह दी पर नीयत बदलने का संकेत देकर हलचल पैदा कर दी. उनका कहना था कि ‘भाजपा कश्मीर और मंदिर-मस्जिद मुद्दे पर विचारधारा बदल दे तो उससे दोस्ती करने में गुरेज नहीं होगा’.


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जानकार मानते हैं कि सपा सुप्रीमों का यह बयान इस बात का संकेत दे रहा है कि समाजवादी पार्टी अब पुराने ढर्रे पर नहीं चलने वाली है. वह राज्य में अपने पुराने यादव-मुस्लिम समीकरण को बदलना चाहती है. यह बात उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के हथिगवां इलाके में पुलिस उपाधीक्षक डीएसपी जियाउल हक की हत्या के बाद और ज्यादा उभरती है.


तो अब क्या यह माना जाए कि मुलायम सिंह यादव को राज्य के उन मुस्लिम वोटों की परवाह नहीं जिसकी वजह से उन्होंने सत्ता हासिल की थी जिसके बाद उनके बेटे अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने थे. जानकारों की मानें तो मुलायम को अपनी स्थिति पता है. उन्हें पता है कि आज केंद्र की यूपीए सरकार किस कदर भ्रष्टाचार और कुशासन में लिप्त है. जनता आगागी चुनाव में इसे भुला नहीं पाएगी. ऐसे में कांग्रेस के बाहर होने के बाद बीजेपी एकलौती पार्टी है जिसकी सत्ता में आने की पूरी संभावना है. अगर अभी से मुलायम सिंह यादव भाजपा के साथ मधुर संबंध नहीं बनाएंगे तो सीबीआई का भूत भाजपा के कार्यकाल में काफी सताएगा.


वैसे यह साफ नहीं कहा जा सकता कि मुलायम मुसलमानों को नाराज करके बीजेपी के साथ गठजोड़ करने जा रहे हैं क्योंकि यदि वह ऐसा करते हैं तो वह अपने पैर पर स्वयं कुल्हाड़ी मारेंगे.


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