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Muzzafarnagar Riot: दंगों के दंगल में सियासत की कुश्ती

दंगा और उसपर की जाने वाली राजनीति का खेल आज का नहीं बहुत ही पुराना है. 1984 का सिख विरोधी दंगा या फिर 2002 का गुजरात दंगा, इन दोनों दंगों से भले ही आजतक लोग उभर नहीं पाए हो. लेकिन यह कहा जाए कि अगर इन दंगों से किसी को फायदा हुआ है तो वो देश के राजनीति दल है. हाल ही में हुए मुजफ्फरनगर का हिंसा (Muzaffarnagar Riots) भी चुनाव से पहले राजनीति दलो को फायदा पहुंचाने वाला मुद्दा बताया जा रहा है.


Manmohanमुजफ्फरनगर हिंसा (Muzaffarnagar Riots) में गिरफ्तारी

दंगे और हो हल्ला के बाद आखिरकार मुजफ्फरनगर हिंसा में गिरफ्तारी की जा रही है. बीजेपी विधायक सुरेश राणा की गिरफ्तारी के बाद मुजफ्फरनगर हिंसा मामले में बीजेपी के अन्य विधायक संगीत सोम को भी मेरठ से गिरफ्तार कर लिया गया है. कहा यह जा रहा है कि उन्होंने खुद को सरेंडर किया है. मुजफ्फरनगर हिंसा के मामले में 16 नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. जिसमे अब तक दो ही लोगों को गिरफ्तार किया गया है.


इस बीच सुरेश राणा और विधायक संगीत सोम की गिरफ्तारी के बाद भाजपा ने विरोध शुरू कर दिया है. राज्य सरकार की नीयत पर सवाल खड़ा करते हुए भाजपा ने कहा कि जब 16 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज है, तो सिर्फ हमारे एक विधायक को क्यों गिरफ्तार किया गया.


राजनाथ का मुजफ्फरनगर दौरा

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी के दौरे के बाद लगता है कि मुजफ्फरनगर सभी पार्टियों के राजनीति करने का स्थल बन चुका है. जिसे देखों वह मुजफ्फरनगर जाना चाहता है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष राजनाथ सिंह भी मुजफ्फरनगर के हिंसा (Muzaffarnagar Riots) प्रभावित इलाकों के दौरा करना चाह रहे हैं. लेकिन प्रशासन ने हालात के मद्देनजर उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी है. इससे पहले बीजेपी उपाध्यक्ष उमा भारती को भी मुजफ्फरनगर जाने की इजाजत नहीं दी गई थी.


गुजरात दंगा जैसा मुजफ्फरनगर हिंसा

दंगे की इस सियासत में भला कांग्रेस पीछे क्यों रह सकती है. कांग्रेस प्रवक्ता पीसी चाको ने शुक्रवार को कहा कि मुजफ्फरनगर दंगा (Muzaffarnagar Riots) किसी भी मायने में गुजरात दंगों से कमतर नहीं है. यहां भी राज्य सरकार दंगों को रोकने में पूरी तरह नाकाम रही. उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा खुफिया जानकारी देने के बावजूद सरकार ने कोई पहल नहीं की. यह सरकार की विफलता को दर्शाता है. इस तरह से पीसी चाको ने सपा के साथ-साथ बीजेपी को भी घेरे में ले लिया.

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