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N Srinivasan: इस्तीफे के पीछे पड़ा खेल और राजनीतिक कुनबा

n srinivasanस्पॉट फिक्सिंग का मामला धीरे-धीरे गहराता जा रहा है. एक तरफ जहां जांच अधिकारी रोज नए-नए खुलासे कर रहे हैं तो दूसरी तरफ बीसीसीआई के कर्ताधर्ता एन श्रीनिवासन के इस्तीफे की मांग को लेकर गोलबंदी की जा रही है. माना यह जा रहा है कि बीसीसीआई की आने वाले रविवार को चेन्नई में आपात बैठक बुलाई जा रही है जिसमें बोर्ड में लगभग अलग थलग पड़ गए अध्यक्ष एन श्रीनिवासन अपने पद से इस्तीफे की घोषणा कर सकते हैं.


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मालूम हो कि आईपीएल 6 की स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण और सट्टेबाजी के आरोपों में अपने दामाद की गिरफ्तारी के बाद श्रीनिवासन पर पद छोड़ने का दबाव बढ़ रहा था और ऐसे में बीसीसीआई ने कार्य समिति की बैठक समय से पहले कराने का फैसला किया. श्रीनिवासन को कुर्सी छोड़ता न देख बोर्ड के सदस्यों ने उनके खिलाफ बगावत शुरू कर दी है. बगावत करने वालों में पहला नाम बोर्ड के कोषाध्यक्ष अजय शिर्के और सचिव संजय जगदाले हैं. स्पॉट फिक्सिंग के मामले को देख शुक्रवार को दोनों ने अपने पद छोड़ दिए थे.


आखिर क्या है इस्तीफों के पीछे का खेल

जानकारों का मानना है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) के सचिव संजय जगदाले और कोषाध्यक्ष अजय शिर्के का पद से इस्तीफा देने के पीछे एक पूर्व अध्यक्ष का हाथ है. कहा जा रहा है कि बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के पद छोड़ने से इन्कार करने के बाद पूर्व अध्यक्ष ने बोर्ड के कुछ प्रमुख सदस्यों के साथ टेलीकांफ्रेंस कर उन्हें इस्तीफा देने की सलाह दी, जिससे दबाव बनाया जा सके.


हर तरफ से दबाव

वैसे क्रिकेट से हर राजनीतिक पार्टी को लाभ है लेकिन जब श्रीनिवासन पर पद छोड़ने का दबाव है तो सभी पार्टियों के नेता घेराबंदी करते दिखाई दे रहे हैं. कांग्रेस नेता और आईपीएल कमिश्नर राजीव शुक्ला से लेकर बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली तक बीसीसीआई चीफ से इस्तीफा मांग रहे हैं. उधर शरद पवार ने भी बुधवार को प्रेस कॉन्फेंस कर कहा कि श्रीनिवासन को मामले की जांच होने तक इस्तीफा दे देना चाहिए. समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल ने भी कहा है कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती है, तब तक श्रीनिवासन को अपने पद पर नहीं रहना चाहिए.


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किस तरह से हटता है बीसीसीआई का अध्यक्ष

भले ही श्रीनिवासन अपना पद न छोड़ने के फैसले पर अडिग हों लेकिन एक जरिया है जिसकी वजह से उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है वह है मतदान. उन्हें हटाने के लिए 30 सदस्यीय बोर्ड के तीन चौथाई सदस्यों का काफी अहम रोल होगा. यानि मतदान में अगर 24 वोट श्रीनिवासन के खिलाफ पड़ गए तो उन्हें हर हालत में अपना पद छोड़ना होगा, लेकिन वोटों की संख्या 24 से कम हो जाए तो श्रीनिवासन पद पर बने रहेंगे. अभी फिलहाल 18 सदस्य पूरी तरह से उनके खिलाफ हैं और श्रीनिवासन के पास 6 वोट पक्के माने जा रहे हैं.

वैसे इस्तीफे के मामले में एन श्रीनिवासन उन नेताओं और मंत्रियों को भी पीछे छोड़ चुके हैं जो अपना नाम किसी संवेदनशील मामले में आने के बाद भी अपने पद से चिपके रहते हैं. अब देखने वाली बात होगी कि आने वाले रविवार को श्रीनिवासन इस्तीफा देते हैं या नहीं.


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