सफलता की उंचाइयों पर पहुंचने के लिए जो व्यक्ति शॉर्टकट तरीका अपनाता है उसे एक दिन जरूर अर्श से फर्श पर आना पड़ता है. पहले पोंटी चढ्डा की मौत ने इस बात को साबित किया, अब उसकी मौत की वजह से सवालों के घेरे में आए सुखदेव सिंह नामधारी के नाम का मुहर लगना इस बात को पूरी तरह से सिद्ध करता है.
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दिल्ली पुलिस ने शराब माफिया पोन्टी चड्ढा और उसके भाई हरदीप की हत्या के मामले में उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग के बर्खास्त चेयरमैन एसएस नामधारी, उसके गार्ड सचिन त्यागी और दूसरे लोगों के खिलाफ शनिवार को चार्जशीट दायर की है. इसमें नामधारी पर पोन्टी के भाई हरदीप को गोली मारने का आरोप है.
वैसे दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने चढ्ढा बंधु हत्याकांड में दाखिल चार्जशीट में वारदात के पीछे नामधारी के हाथ पर मुहर लगा दी है. इस पूरी घटना से पता चलता है कि नामधारी इस घटना को अंजाम देने के लिए बहुत पहले ही सोच-विचार कर चुका था. इसके लिए वह सबसे पहले अपने कारोबारी दोस्त पोन्टी चढ्ढा के करीब आया, अपनी पैंतरेबाजी से उसने उसके कारोबार और उसके परिवार के बारे में जानकारी जुटाई.
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नामधारी के बारे में माना जाता है कि वह जिस सीढ़ी से ऊपर चढ़ता था सबसे पहले उसे ही खत्म कर देता था. ऐसा माना जाता है कि चढ्ढा बंधुओं में मन-मुटाव का कारण भी नामधारी ही था. चढ्ढा की अवैध तरीके से कमाई गई करोड़ों की सम्पत्ति को अपने कब्जे में करने के लिए नामधारी कुछ इस तरह की परिस्थितियां उत्पन करता है जिससे दोनों भाइयों के बीच तनाव पैदा हो सके.
वैसे पोन्टी चढ्ढा की दोस्ती से पहले सुखदेव सिंह नामधारी के इतिहास पर भी नजर डालें तो पता चलता है कि मौका और दस्तूर के हिसाब से पाला बदलने में नामधारी पूरी तरह से माहिर है. शायद इसी खूबी की वजह से नामधारी मामूली ट्रक ड्राइवर से उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जैसे संवैधानिक पद तक पहुंचता है. लेकिन वह यह नहीं समझ पाया कि शॉर्टकट अपनाने का यह तरीका उसे एक दिन सलाखों के पीछे खड़ा कर देगा.
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