अभी कुछ दिनों पहले एक टी.वी. चैनेल पर राष्ट्रीय पुरस्कार द्वारा सम्मानित फिल्म द डर्टी पिक्चर का प्रसारण किया जाना था. लेकिन कुछ अपरिहार्य कारणों की वजह से इस फिल्म का राष्ट्रीय प्रसारण रोक दिया गया. लेकिन जब इन अनपेक्षित कारणों को उजागर किया गया तो इन्हें सुनकर कोई भी यह निश्चय नहीं कर पा रहा था कि इसे सरकार की बोल्डनेस मानें या फिर बचकानी हरकत.
पिछले वर्ष प्रदर्शित हुई फिल्म द डर्टी पिक्चर तथाकथित रूप से एक दक्षिण भारतीय फिल्मों की हिरोइन के जीवन पर आधारित है. वह अभिनेत्री जितनी बोल्ड थी उससे भी कहीं ज्यादा बोल्डनेस को डर्टी पिक्चर की हिरोइन विद्या बालन ने इस कदर पर्दे पर उतारा जिससे अंग प्रदर्शन, अश्लील और बोल्ड दृश्य इस फिल्म की पहचान ही बन गए हैं. फिल्म की कहानी में दम हो या ना हो लेकिन अभिनय और फूहड़ दृश्यों की वजह से यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कमाल दिखा ही गई. हमारी सरकार और उसके नुमाइंदों को भी शायद यह फिल्म बहुत पसंद आई और अनपेक्षित रूप से इस फिल्म को भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाज दिया गया.
लेकिन राष्ट्रीय पुरस्कार द्वारा सम्मानित इस फिल्म को जब छोटे पर्दे पर प्रसारित करने की बात आई तो सरकार का कहना था कि यह फिल्म राष्ट्रीय चैनल पर दिखाई जाने योग्य नहीं है. सरकार का यह वक्तव्य बेहद हैरानी पैदा करने वाला था कि जिस फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार दिया जा सकता है आखिर उसे राष्ट्रीय चैनल पर क्यों नहीं दिखाया जा सकता.
उल्लेखनीय है कि इस फिल्म को ना सिर्फ राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया है बल्कि बॉलिवुड से संबंधित लगभग सभी पुरस्कार इस फिल्म की ही झोली में आए थे. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इसे टेलीविजन पर दिखाने से पहले इस फिल्म के 59 कट किए गए इसके बावजूद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को यह फिल्म दर्शकों के लिए सही नहीं लगी. इससे तो साफ जाहिर होता है कि भले ही जिन दृश्यों को टेलीविजन पर नहीं दिखाया जा सकता उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजते हुए हमारी सरकार ने एक बार भी यह नहीं सोचा कि इन फिल्मों को सर्वोच्च पुरस्कार प्रदान करना कहीं स्वयं राष्ट्रीय पुरस्कार और अन्य प्रतिभागियों की गरिमा के साथ खिलवाड़ तो नहीं है. हां, इससे एक बात जो पूरी तरह स्पष्ट हो चुकी है वो यह कि अब राष्ट्रीय फिल्म अवॉर्ड पर भी बोल्डनेस हावी होती जा रही है.
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