पर्यावरण एक ऐसा मुद्दा है, जो किसी एक देश या नागरिकों से नहीं बल्कि पूरी दुनिया से जुड़ा हुआ है। ऐसे में वैश्विक स्तर पर पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा की जाती है। हाल ही में कॉप24 यानी 24वां कॉन्फ़्रेंस ऑफ द पार्टीज टु द यूनाइटेड नेशन्स फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज पर पोलैंड में 2015 के पेरिस जलवायु समझौते को लागू करने पर सहमति बन गई है। सबसे खास बात ये है कि 2020 से यह समझौता लागू होना है।
इन मुद्दों पर हुई बात
2015 के पेरिस जलवायु समझौते को 2020 से कैसे लागू किया जाए, इस पर बात हुई। पेरिस समझौते में अमीर देशों के लिए नियम पर कोई सहमति नहीं बन पाई थी। ग़रीब देशों और अमीर देशों के कार्बन उत्सर्जन की सीमा को लेकर विवाद था। इस मामले में चीन ने पहल करते हुए 2015 के पेरिस समझौते को आगे बढ़ाने के लिए हामी भरी है और इससे इस सम्मेलन को काफी बल मिला।
एक सबसे बड़ी असहमति इंटरगवर्नमेंटल पैनल की जलवायु परिवर्तन पर वैज्ञानिक रिपोर्ट को लेकर है। कुछ देशों के समूह, जिनमें सऊदी अरब, अमरीका, कुवैत और रूस ने आईपीसीसी की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। इसे लेकर कोई बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, अब भी मामला सुलझ नहीं पाया है।
आईपीसीसी ने कार्बन उत्सर्जन को लेकर जो सीमा तय की है उस पर कई देशों के बीच मतभेद हैं। भारत ने भी 2030 तक 30-35 फ़ीसदी कम कार्बन उत्सर्जन करने की बात कही है।
भारत ने वार्ता को बताया सकरात्मक कदम
भारत ने पोलैंड में पर्यावरण पर वार्ता के नतीजों को ‘‘सकारात्मक’’ बताते हुए कहा कि उसने देश के अहम हितों को ध्यान में रखते हुए बातचीत में सार्थक भागीदारी की। वार्ता का मकसद ऐतिहासिक पैरिस समझौते के सफल क्रियान्वयन पर राष्ट्रों में सहमति बनाना है। संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के लिए पोलैंड में जुटे लगभग 200 देशों के वार्ताकारों के बीच 2015 पैरिस जलवायु परिवर्तन समझौते के क्रियान्वयन के लिए नियम-कायदों को लागू करने पर सहमति बनी। पर्यावरण पर यह समझौता 2020 में प्रभावी होगा…Next
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