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भारत की ताकत थी आईएनएस सिंधुरक्षक

जल और थल के बाद अब पानी के भीतर से परमाणु वार करने की भारत की क्षमता को पूरा करने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत का परमाणु रिएक्टर को चालू हुए अभी कुछ ही दिन हुए थे कि मुंबई डॉकयार्ड में नौसेना की एक पनडुब्बी आईएनएस सिंधुरक्षक में मंगलवार को आग लग गई. विस्फोटों के बाद लगी आग में 18 नौसैनिकों के मारे जाने की आशंका है. पनडुब्बी का बड़ा हिस्सा पानी में डूब चुका है और बचाव व राहत कार्य जारी हैं.


आईएनएस सिंधुरक्षक

आईएनएस सिंधुरक्षक को 16 साल पहले भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था और इसका हाल ही में आधुनिकीकरण किया गया. सिधुघोष श्रेणी की इस डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी को रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में बनाया गया था. 24 दिसंबर 1997 को इसे भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था. इस पनडुब्बी में 2010 में भी आग लग गई थी जिसमे एक नाविक की मौत हो गई थी जबकि दो घायल हो गए. उस वक्त यह विशाखापट्टनम में तैनात थी. उसी साल सिंधुरक्षक को दोबारा उन्नत करने के लिए रूस भेज दिया गया. दो साल तक चली मरम्मत के दौरान इसमें कई आधुनिक प्रणालियां भी जोड़ी गईं.


आईएनएस सिंधुरक्षक खूबियां

  1. 72.6 मीटर लंबी सिंधुरक्षक पनडुब्बी भारतीय नौसेना की ताकत का एक अहम हिस्सा थी. यह समुद्र के अंदर 640 किलोमीटर तक जा सकती थी.
  2. इसमें एक समय में 60 से 70 नौ−सौनिक मौजूद रह सकते थे.
  3. सिंधुघोष श्रेणी की पनडुब्बियां समुद्र में 300 मीटर की गहराई तक गोता लगा सकती थी.
  4. 2325 टन वजन वाली पनडुब्बी की कीमत करीब 490 करोड़ रुपए थी.

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