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यह सच है बीएसएफ का

इस बात पर भारत सरकार और समाज हमेशा माथाचप्पी करते हैं कि आखिर देश में युवा, सेना और बीएसएफ जैसी संस्थानों में कार्य करने के लिए प्रोत्साहित क्यूं नहीं होते? आखिर क्या वजह है कि देश की सेवा करने का गौरव आज के युवा प्राप्त ही नहीं करना चाहते? आखिर क्यूं देश को अपनी रक्षा के लिए हमेशा आह्वान करना पड़ता है? क्यूं युवा खुद आगे आकर देश-सेवा के लिए सेना को अपना कॅरियर नहीं चुनते? पर इन सभी सवालों का जो जवाब है उसे सुनकर आप भी कहेंगे कि युवा गलत नहीं हैं. आखिर कौन है जो अपने भविष्य को उज्जवल बनाने की जगह उसे पछाड़ देगा. हाल ही में बीएसएफ के जवानों के बीच हुए एक सरकारी सर्वे में यह बात साफ हो गई कि बीएसएफ के जवान क्यूं इतने परेशान और बदहाल हैं.


देश की सीमा पर पहरा देने वाले सीमा सुरक्षा बल [बीएसएफ] के 70 प्रतिशत से ज्यादा जवानों को चार घंटे की नींद भी नसीब नहीं होती. यही नहीं उन्हें अपने वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से दु‌र्व्यवहार का सामना करना पड़ता है.


वरिष्ठ आईपीएस और ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलेपमेंट [बीपीआरडी] के महानिरीक्षक मनोज छाबड़ा के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में पाकिस्तान और बांग्लादेश की भारतीय सीमाओं पर तैनात जवानों में उच्च तनाव स्तर के अनेक कारण बताए गए हैं.


bsfतो यह है असली सच्चाई

  • 70 प्रतिशत से ज्यादा जवानों ने बताया कि उन्हें पर्याप्त नींद और आराम नहीं मिल पाता.
  • कई जवानों ने बताया कि उन्हें नियमित चार घंटे से भी कम नींद मिल पाती है. इससे शारीरिक थकान, चिड़चिड़ापन और तनाव बढ़ने लगता है और प्रदर्शन पर बुरा प्रभाव पड़ता है.
  • बीएसएफ के औसतन दस में एक जवान को दु‌र्व्यवहार, गाली-गलौज का सामना करना पड़ता है.
  • यही नहीं वरिष्ठ अधिकारी जवानों की बजाए बाहरी लोगों और अफवाहों पर ज्यादा विश्वास करते हैं.
  • तनाव का एक कारण जवानों को छुट्टियां न मिलना भी बताया गया है. जवानों को जब छुट्टियों की जरूरत होती है तो उसे मंजूर नहीं किया जाता. इससे भी उनमें असंतोष है.


BSF-JAWANSक्या अब भी आप जाना चाहेंगे बीएसएफ में !

आज हर इंसान प्रगति और विकास की राह पर आगे बढ़ना चाहता है. सब चाहते हैं कि वह कोई ऐसा काम करें जिससे वह आगे जाकर समाज में सर उठा कर जी सकें. लेकिन सेना और बीएसएफ की नौकरी में एक तो तनख्वाह अच्छी नहीं होती, प्रमोशन के लिए कई-कई सालों तक इंतजार करना पड़ता है और ऊपर से आराम और सुविधा का कोई भी नाम नहीं. जब इतनी सारी परेशानियां हों तो कौन चाहेगा बीएसएसफ में भर्ती होना. माना कि देश-भक्ति सबसे ऊपर होती है पर आज के  समय में देशभक्ति कितनी प्रासंगिक रह गई है. समाज में बहुत कम लोग बचे हैं जो देशभक्ति के लिए अपना सब लुटाने के लिए तैयार रहते हैं. सरकार को जल्द ही सेना और अर्धसैनिक बलों में फैले इस असंतोष की लहर को मिटाना होगा तभी देश के नौजवान देश-सेवा के लिए तत्पर होकर आगे आ सकेंगे.

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