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बेबी फलक केस का सच

दिल्ली यूं तो लड़कियों के लिए कितनी डरावनी है यह बताने की कोई जरूरत नहीं है लेकिन जब कभी राजधानी में लड़कियों पर हो रहे अत्याचार की तस्वीरें सामने आती हैं तो निगाहें शर्म से झुक जाती हैं. चाहे आप जेसिका लाल कांड को लें या फिर धौला कुंआ रेप केस हर जगह इंसानियत और इज्जत तार-तार होती दिखेगी. हाल का जो केस है उसमें भी बच्चियों पर हो रहे जुल्म की काली कहानी सामने आती है. बेबी फलक आज देश में छोटी और नवजात बच्चियों पर हो रहे जुल्म का चेहरा बन चुकी है और उसे अस्पताल के बाहर छोड़ने वाली 14 वर्षीय लड़की वेश्यावृत्ति के उस घिनौने रूप को दर्शाती है जो आज देश के हर हिस्से में पाया जाता है.


बेबी फलक को 18 जनवरी को 14 वर्षीय एक लड़की एम्स में भर्ती कराने लाई थी. जब दो वर्षीय फलक को अस्पताल में भर्ती कराया गया था तब इसकी स्थिति बेहद गंभीर थी. बच्ची के शरीर पर किसी इंसान के दांत से काटने के कई निशान तथा अन्य जख्म पाए गए और मस्तिष्क भी बुरी तरह प्रभावित था. अब तक फलक का दो बार मस्तिष्क का ऑपरेशन हो चुका है. लेकिन इसके बाद भी बच्ची की हालत नाजुक बनी हुई है. अब वह बच्ची बचती है या नहीं इसका फैसला भगवान ही कर सकते हैं.


इस पूरे केस में सबसे महत्वपूर्ण रोल निभाने वाली 14 वर्षीय लड़की की स्थिति इस देश की उन लाखों लड़कियों की दास्तां बयां करती है जो घरेलू हिंसा की वजह से घर से तो भाग जाती हैं लेकिन उन्हें जिस्म के दलाल वेश्यावृत्ति के दलदल में धकेल देते हैं.


14 वर्षीय किशोरी को बच्ची को एम्स में छोड़ने के समय बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया था किंतु उस समय उसने ज्यादा कुछ नहीं बताया था. उसकी काउंसिलिंग कराने के बाद जब दोबारा बयान कराया गया तब उसने सनसनीखेज खुलासा किया. उसने बताया कि पिता की क्रूरता के बाद वह जून महीने में घर से भाग गई थी. इसके बाद वह जिन महिलाओं के संपर्क में आई वे उससे वेश्यावृति कराने लगीं. उसे इसके लिए एटा भी ले जाया गया.


इस पूरे कांड में एक और बात सामने आई कि औरत ही औरत की दुश्मन भी होती है. पूजा नामक जिस औरत ने उस बच्ची को सहारा दिया था उसी ने उसे देह व्यापार में धकेल दिया था. यहां तक कि पूजा के पति संदीप ने भी किशोरी से तीन बार दुष्कर्म किया. इसके अलावा एक हफ्ते के करार पर किशोरी को पूजा ने मुनीरका में एक महिला के घर भेजा था. वहां से किशोरी को अलग-अलग ग्राहकों के पास भेजा जाने लगा. राजकुमार उर्फ दिलशाद का काम किशोरी को ग्राहकों के पास छोड़ना और वहां से लाना होता था. इससे उसकी किशोरी से पहचान हुई. दोनों ने तीन महीने पूर्व मंदिर में शादी कर ली और महिपालपुर गांव में रहने लगे. लेकिन पूजा ने यहां भी उस लड़की का पीछा नहीं छोड़ा और उसे तंग करने लगी.


लेकिन अभी तक यह खुलासा नहीं हुआ है कि आखिर उस लड़की को वह बच्ची मिली कहां थी? और उस बच्ची के असली माता-पिता हैं कौन? लेकिन इस केस में जहां एक औरत ने ही एक औरत को बेच दिया वहीं एक बच्ची ने अपने जैसी बच्ची को मौत से हारने नहीं दिया. इतने जुल्म होने के बाद भी उसमें इंसानियत बची थी और इसीलिए वह बच्ची को लेकर अस्पताल गई. यह दर्शाता है कि चाहे हैवानियत कितनी भी पांव पसार ले लेकिन इंसानियत को ढक पाना उसके बस की बात नहीं.


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